श्री गणेश चतुर्थी व्रत: घर को मंगलयुक्त करने के लिए इस दिशा में करें पूजन

punjabkesari.in Saturday, May 27, 2017 - 12:06 PM (IST)

29 मई, सोमवार को सिद्धि विनायक श्री गणेश चतुर्थी व्रत है। विघ्नों का नाश करने के लिए गणपति उपासना सर्वोत्तम है। विद्वानों का कहना है, मनोकामना पूर्ति के लिए इस दिन से आरंभ किए गए उपाय शुभ एवं श्रेष्ठ फल देते हैं। सर्वप्रथम इस विधि से करें पूजन-


पूजन विधि
गणेश जी का पूजन सर्वदा पूर्वमुखी या उत्तरमुखी होकर करें। सफेद आक, लाल चंदन, चांदी या मूंगे की स्वयं के अंगूठे के आकार जितनी निर्मित प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति शुभ होती है। साधारण पूजा के लिए पूजन सामग्री में गंध, कुंकुम, जल, दीपक, पुष्प, माला, दूर्वा, अक्षत, सिंदूर, मोदक, पान लें। ब्रह्यवैवर्तपुराण के अनुसार गणेशजी को तुलसी पत्र निषिद्व है। सिंदूर का चोला चढ़ा कर चांदी का वर्क लगाएं और गणेश जी का आह्वान करें।
 
गजाननं भूतगणांदिसेवितं 
कपित्थजम्बूफल चारुभक्षणम्।
उमासूतं शोकविनाशकारकं 
नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्।

गणेश संकट स्तोत्र का पाठ कर मोदक का भोग लगाएं एवं आरती करें। घर के बाहरी द्वार के ऊर्ध्वभाग में स्थित गणेश प्रतिमा की पूजा करने पर घर मंगलयुक्त हो जाता हैं।
खास काम पर जाने से पहले गणेश मंत्र का जाप कर 108 बार दूब चढ़ाएं।


शक्ति विनायक मंत्र
मंत्र महोदधि अनुसार मंत्र इस प्रकार है :
ऊँ ह्मीं ग्रीं ह्मीं

उपयुक्त मंत्र का पुरश्चरण चार लाख जप है। चतुर्थी से आरम्भ कर इसका दशांश हवन, तर्पण, मार्जन और ब्राह्मण भोजन पश्चात् घी सहित अन्न की आहुति से हवन करने पर रोजगार प्राप्ति, गन्ने के हवन से लक्ष्मी प्राप्ति, केला और नारियल के हवन से घर में सुख शांति प्राप्त होती है।


किसी कार्य की सफलता में संदेह हो तो घर से निकलते वक्त गणेश जी के चरणों में रखा फूल अपने साथ लेकर जाएं।


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