इस मंत्र के बिना अधूरी है शिवाराधना

punjabkesari.in Monday, Apr 08, 2019 - 02:04 PM (IST)

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हिंदू धर्म में 33 कोटी देवी-देवता हैं, जिनकी पूजा-आराधना करके मनचाही इच्छाएं पूरी की जा सकती हैं। जब इन सभी की उपासना करके भी बात न बने तो देवों के देव महादेव को प्रसन्न कर मनवांछित फल पाया जा सकता है। भगवान शिव बहुत भोले हैं तभी तो उन्हें भोले नाथ कहा जाता है। शिव जी की आराधना महामृत्युजंय मंत्र के बिना अपूर्ण है। महामृत्युंजय मंत्र के पारायण व पुरश्चरण से विशेष लाभ प्राप्त होता है। जानिए महामृत्युजंय मंत्र का पुरश्चरण कैसे किया जाता है- पुरश्चरण के पांच अंग होते हैं : 1. जाप, 2. हवन, 3. तर्पण, 4. मार्जन, 5. ब्राह्मण भोज

PunjabKesariपुरश्चरण में जप संख्या निर्धारित मंत्र की अक्षरों की संख्या पर निर्भर करती है। इसमें ॐ और ‘नम:’ को नहीं गिना जाता। जप संख्या निश्चित होने के उपरांत जप का दशांश हवन, हवन का दशांश तर्पण, तर्पण का दशांश मार्जन और मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोज कराने से ही पुरश्चरण पूर्ण होता है।

PunjabKesariपारायण हेतु निम्र महामृत्युंजय मंत्र का यथाशक्ति जाप करें-
 ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवधर्मनम् उर्वारुकमिव बंधानात्मृत्योर्मुक्षीयमामृतात भूर्भुव : स्व: ॐ स: जूं हौं ॐ।

PunjabKesariरोग से मुक्ति के लिए निम्र महामृत्युंजय मंत्र का यथाशक्ति जाप करें :
ॐ जूं स: (रोग का नाम) नाशय नाशय स: जूं ॐ

सर्वत्र रक्षा करने के लिए निम्र महामृत्युजंय मंत्र का यथाशक्ति जाप करें :
ॐ जूं स: (अमुकं) पालय पालय स: जूं ॐ

(यदि यजमान व अन्य किसी की रक्षा के लिए मंत्र जाप करें तो अमुक के स्थान पर उस व्यक्ति का नाम लें। यदि स्वयं की रक्षा के लिए मंत्र जाप कर रहे हैं तो अमुकं के स्थान पर ‘मम’ कहें।

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Niyati Bhandari

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