शिव जी और सोमवार का क्या है Connection?

punjabkesari.in Tuesday, Jan 04, 2022 - 06:05 PM (IST)

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व्रत उपवास की दृष्टि से शिव की उपासना के लिए वारों में सोमवार तथा तिथियों में त्रयोदशी व चतुर्दशी का विशेष महत्व शास्त्रों में बतलाया जाता है। भगवान शिव को चंद्रमा अति प्रिय है। वह उसे मस्तर पर धारण करते हैं। चंद्रमा मन का स्वामी है- 'चंद्रमा मनसो जात।'

प्राणिमात्र के मन का नियंत्रण चंद्रमा करता है। विष से तप्त शंकर ने चंद्र को शीतलता के लिए मस्तक पर धारण किया हुआ है। अश्वों की भांति चंचल मन को सोमवार के दिन शंकर की पूजा में स्थिर और शुभ विचार, शुभाग्नि और शुभंकर बनाना चाहिए। सोमवार, त्रयोदशी तिथि और प्रदोष, इन तीनों का प्रतीक त्रिदल, त्रिपत्र बिल्व पत्र है। 

सोम का गूढ़ रहस्य यह भी है 'उमया सहितः सोम' (शंकर) अर्थात 'उमा परिणित 'सोमनाथ' के भी दो विग्रह विद्वानों के किए हैं। पौराणिक कथाओं और विभिन्न वैज्ञानिक कारणों से इसके अनेक रहस्य विद्वानों में प्रकट किए हैं। 'प्रदोष' का भी शिव जी से संबंध है। 

'प्रदोषो रजनीमुखम्'- रात्रि प्रारंभ के समय प्रदोष नाम से भी जानी जाती है। रात्रि शिव को बहुत प्रिय है। कृष्णापक्ष की रात्रि शिव जी को बहुत प्रिय है। 

स्कंद पुराण के अनुसार
स्कंद पुराण के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी का स्वामी कामदेव को माना गया है। उसका आगमन होते ही सर्वप्रथम प्रकाश का संहार, जीवों की दैनिक कार्यों से मुक्ति और अंत में निद्रा की गोद में चला जाता है। शिव को रात्रि प्रिय होना स्वाभाविक हो जाता है। शिव काल के भी महाकाल हैं और काम को भस्म करने वाले हैं- 'त्रयोदशी' तिथि का भी यही रहस्य है। 
 


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Content Writer

Jyoti

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