Shardiya Navratri 2020: नवरात्रि से पहले आप भी देखें मां चिंतपूर्णी के धाम की सजावट
punjabkesari.in Friday, Oct 16, 2020 - 08:34 PM (IST)
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नवरात्रों में मां के भक्त अपनी माता रानी की एक झलक के लिए प्रत्येक वर्ष हज़ारों किलोमीटर की दूरी का रास्ता तय करके उनके पावन स्थलों के लिए दर्शन करने जाते हैं। उनकी ये खुशी उनके चेहरों पर साफ झलकती हुई दिखाई देती हैं। मगर बात करें अगर इस साल के शारदीय नवरात्रों की तो कोरोना के कारण इस बार लोगों की चेहरे पर मां से मिलने की बेताबी कुछ अलग ही है। मगर आपको बता दें कि आपकी इस बेताबी को दूर करने में हम अपना पूरा पूरा योगदान देंगे। जी हां, अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम पूरे नवरात्रों में मां के विभिन्न शक्तिपीठ के दर्शन करवाएंगे। बता दें आज हम आपको बताएंगे चिंतपूर्णी देवी मंदिर के बारे में। जो हिमाचल के ऊना जिले में स्थित है। मां का ये धाम भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है। माता के इस प्राचीन मंदिर में लोगों की मनोकामना तो पूरी होती ही है। साथ ही उनके सारे दुखों का निवारण भी हो जाता है। पुराणों के अनुसार यहां पर देवी सती का माथा गिरा था। माता का ये धाम देशभर में चिंतपूर्णी के साथ छिन्नमस्तिका नाम से भी विख्यात है। कहते हैं यहां पर देवी सती का माथा गिरने की वजह से इस जगह को छिन्नमस्तिका कहा जाने लगा। और देखते ही देखते मां के चमत्कार की वजह से ये धाम विश्व विख्यात हो गया और मां के भक्तों की श्रद्धा भी इस मंदिर के प्रति बढ़ने लगी। लोक मान्यता है कि मां उनके भक्तों की चिंताओं का एक पल में ही समाधान निकाल देती थी। इसलिए भक्तों ने इस शक्तिपीठ को चिंतपूर्णी का नाम दे दिया। जिसके बाद से ही ये शक्तिपीठ अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार छिन्नमस्ता देवी के मंदिर को चारों दिशाओं से रुद्र महादेव ने सुरक्षित कर रखा है। चाराओं दिशाओं में भगवान शिव के मंदिर है। चलिए आपको दिखाते हैं मां की सुरक्षा में तैनात भगवान शंकर के चारों मंदिर। पहला मंदिर पूर्व दिशा में कैलाश्वर महादेव के नाम से स्थापित है। तो वहीं पश्चिम में नारायण महादेव के नाम से स्थित है। इसके अलावा उत्तर और दक्षिणा दिशा में मचकण्ड महादेव और शिवबाड़ी मंदिर स्थापित है। ऐसा माना जाता है चिंतपूर्णी देवी का एक बार दर्शन मात्र करने से सभी चिंताओं से मुक्ति मिलती है।. मार्कंडेय पुराण के अनुसार जब मां चंडी ने राक्षसों का संहार करके विजय प्राप्त की तो माता की सहायक योगिनियां अजया और विजया की खून की प्यास को शांत करने के लिए अपना मस्तक काटकर, अपने रक्त से उनकी प्यास बुझाई इसलिए माता का नाम छिन्नमस्तिका देवी पड़ गया। तो चलिए इसी के साथ आपको छोड़ जाते हैं चिंतपूर्णा देवी की आरती के साथ।
इसके अलावा जानें नवरात्रों के लिए हो रही हैं कैसी तैयारियां-
कल से शुरू होने वाले नवरात्रों को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है। मंदिरों से लेकर घरों तक में श्रद्धालु साफ-सफाई में जुटे हुए हैं। वहीं बाजार में भी पूजा की तैयारियों को देखते हुए एक बार फिर दिखी रौनक, भक्त दिनभर पूजन सामग्री की खरीदारी करते देखे गए। कल से देश में नवरात्रों का पर्व शुरू हो जाएगा। जिसे देखते हुए बाजार पूरी तरह से सज गए हैं। इसके अलावा मंदिरों में भी त्यारियां जोरों पर की जा रही हैं। मंदिर कमेटी सदस्यों की और से मंदिरों को रंगीन झालरों आदि से सजाने का कार्य शुरू कर दिया गया है, वही अब दुकानदारों के चेहरे पर भी एक बार फिर से रौनक लोट आई है। दुकानदारों का कहना है की कोरोना के चलते पूजा समग्रियों दे दामों में बढ़ोतरी जरूर हुई है परंतु लोगों की आस्था के कोई कमी नहीं देखी जा रही। वहीं दूसरी ओर पूजा समग्री खरीदने आए लोगो ने कहा की इन नवरात्रों में वह घरो में रहकर की पूजा अर्चना करेंगे और इन नवरात्रों में यही कामना करेंगे की माता रानी जल्द इस बीमारी को खत्म करें। वही जब इस बारे मंदिर कमेटी के सदस्यों से बात की तो उन्होंने कहा की नवरात्रों के उत्स्व पर मंदिर को सजाने का कार्य पूरा हो गया है और कल से मंदिर में पूजा पाठ और आरती शुरू हो जाएगी इसके इलावा उन्होंने लोगो से भी अपील की वह मास्क पहन कर ही मंदिर आए।