शरद पूर्णिमा 2019ः खुले आसमान में इस रात खीर रखने का क्या है राज

punjabkesari.in Thursday, Oct 10, 2019 - 12:05 PM (IST)

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जैसे कि सब जानते हैं कि हर माह की पूर्णिमा को एक नए महीने की शुरूआत होती है और इस बार की पूर्णिमा पर कार्तिक मास का आरंभ हो रहा है। बता दें कि ये पूर्णिमा बहुत ही खास होती है और इसे शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस रात भगवान कृष्ण ने अपनी गोपियों के साथ महा रास किया था। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात बेहद खास होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल ये दिन 13 अक्टूबर दिन रविवार को पड़ रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के चार माह के शयनकाल का अंतिम चरण होता है। माना जाता है कि इस दिन चांद अपनी 16 कलाओं से पूरा होकर रातभर अपनी किरणों से अमृत की वर्षा करता है। इस रात खीर बनाने और उसे चांद की रोशनी के नीचे रखने का बहुत ही खास महत्व होता है, तो आइए जानते हैं इसका धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व। 
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धार्मिक मान्यता
पौराणिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की मध्यरात्रि में चंद्रमा की सोलह कलाओं से अमृत वर्षा होने पर ओस के कण के रूप में अमृत बूंदें खीर के पात्र में भी गिरेंगी, जिसके फलस्वरूप यही खीर अमृत तुल्य हो जाएगी, जिसको प्रसाद रूप में ग्रहण करने से प्राणी आरोग्य एवं कांतिवान रहेंगे।
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वैज्ञानिक मान्यता
शरद पूर्णिमा की रात को छत पर खीर को रखने के पीछे वैज्ञानिक तथ्य भी छिपा है। सब जानते हैं कि खीर दूध और चावल से बनकर तैयार होता है। दरअसल दूध में लैक्टिक नाम का एक अम्ल होता है और यह एक ऐसा तत्व होता है जो चंद्रमा की किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है। वहीं चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया आसान हो जाती है। इसी के चलते सदियों से ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया है और इस खीर का सेवन सेहत के लिए महत्वपूर्ण बताया है। एक अन्य वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार इस दिन दूध से बने उत्पाद का चांदी के पात्र में सेवन करना चाहिए। चांदी में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। इससे विषाणु दूर रहते हैं। 


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