24 अप्रैल को शनि देव को प्रसन्न करने का है खास दिन, बन रहा है शनि त्रयोदशी पर ध्रुव योग!

punjabkesari.in Saturday, Apr 24, 2021 - 02:57 PM (IST)

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ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्याय का कारक व न्यायाधीश माना गया है। इन्हें क्रूर ग्रह की संज्ञा भी दी गई है। शनिदेव हमारे कर्मों के मुताबिक हमें इसी जन्म में फल देते हैं। शनिदेव जिस पर मेहरबान होते हैं, उसे रंक से राजा बना देते हैं और जिस पर उनकी कुपित दृष्टि पड़ती है,  उसे राजा से रंक भी बना देते हैं और उसकी मुसीबतें बढ़ा देते हैं। शनि अपनी महादशा और साढ़ेसाती के दौरान ज्यादा पावरफुल हो जाते हैं और कुंडली में अपनी शुभ या अशुभ स्थिति के दौरान शुभ या अशुभ फल देते हैं। जिनकी कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में होते हैं, उनको शिक्षा, करियर, बिजनेस, स्वास्थ्य और दांपत्य जीवन से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस समय धनु राशि, मकर राशि और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है जबकि मिथुन राशि व तुला राशि पर शनि की ढैया चल रही है। यानी 12 राशियों में से 5 राशियां शनि का प्रभाव झेल रही हैं। शनि की कृपा पाने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं । शनिदेव को प्रसन्न करने का खास मौका 24 अप्रैल को आ रहा है और उस दिन शनि  त्रयोदशी भी है। यानि शनि प्रदोष व्रत भी है।  इस दिन पूजा करने से शनिदेव विशेष फल प्रदान करते है।

प्रदोष व्रत को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। ये व्रत हिंदू महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी को होता है। प्रदोष जब सोमवार को आता है तो उसे सोम प्रदोष, मंगलवार को आता है तो उसे भौम प्रदोष और शनिवार के दिन आता है तब उसे शनि प्रदोष कहते हैं। 24 अप्रैल शनिवार के दिन शनि प्रदोष व्रत है। 

इस तिथि पर ध्रुव योग भी बन रहा है इसलिए प्रदोष व्रत का महत्व और भी बढ़ जाएगा। सूर्य इस समय मेष राशि में रहेेगा। चंद्रमा सिंह में होगा और फिर कन्या राशि में गोचर करेंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस योग में इमारत, भवन आदि का काम कराना शुभ होता है

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 24 अप्रैल दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 17 मिनट से हो रहा है, जो 25 अप्रैल को शाम 04 बजकर 12 मिनट तक है। ऐसे में देखा जाए तो प्रदोष काल 24 अप्रैल को ही प्राप्त हो रहा है। ऐसे में प्रदोष व्रत 24 मार्च को रखा जाएगा। पूजा का समय 24 अप्रैल शाम 07 बजकर 17 मिनट से रात 09 बजकर 03 मिनट तक रहेगा।

शनि प्रदोष के दिन किसी भी तरह की परेशानी से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिवजी का अभिषेक करना चाहिए। इस दिन दशरथ स्त्रोत का पाठ करना भी फलदायी माना जाता है। इस दिन भगवान शिव के साथ शनि देव की पूजा भी की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत के दिन शनि देव को काला तिल, काला वस्त्र, तेल, उड़द की दाल अर्पित करना शुभ माना जाता है। इस दिन शनि स्त्रोत का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है। मान्यता है कि यह व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति होती है। इस दिन यदि शनि से संबंधित कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो दुर्भाग्य भी दूर होता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन बूंदी के लड्डू यदि काली गाय को खिलाएंगे तो भाग्योदय होता है। शनि प्रदोष के दिन कम से कम एक माला शनि मंत्र का जाप करना चाहिए। जाप के दौरान उच्चारण शुद्ध रहना चाहिए। इसके अलावा गरीब को तेल में बने खाद्य पदार्थ खिलाएं। इस दिन पीपल को जल देने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनि त्रयोदशी के दिन पीपल के पेड़ पर नीले रंग का पुष्प और जल अर्पित करें।

यहां जानें शनि प्रदोष व्रत पूजन विधि-

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ कपड़े धारण करें।

 भगवान शंकर और माता पार्वती को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं।

अब भगवान को बेल पत्र, गंध, अक्षत , फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग व इलायची अर्पित करें। 

शाम को भगवान शिव की इसी तरह पूजा करें और पुनः एक बार उक्त सभी सामग्री भगवान को अर्पित करें। 

इस दिन अगर संभव हो तो इस दिन कांसे की कटोरी में तिल का तेल लेकर अपना चेहरा देखना चाहिए और जो भी शनिदेव के नाम का दान स्वीकार करता हो उसे तेल दान कर दें। इससे शनि की विशेष कृपा हासिल होगी और अगर आपकी कुंडली में शनि का बुरा प्रभाव चल रहा है तो आप को काफी राहत मिलेगी।

गुरमीत बेदी 
gurmitbedi@gmail.com

 


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Content Writer

Jyoti

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