शनि जयंती को नहीं माना जा रहा शुभ!

punjabkesari.in Wednesday, May 24, 2017 - 02:49 PM (IST)

नवग्रह में शनि एकमात्र ऐसे ग्रह हैं, जिनकी जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाने का विधान है। इस रोज शनिदेव का जन्मदिन होता है। कल 25 मई गुरुवार को शनि जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। विद्वानों के अनुसार, इस बार की शनि जयंती शुभ नहीं है। बृहस्पतिवार को कृतिका नक्षत्र होने के कारण यमघंटक योग बनेगा, जो अशुभ प्रभाव देता है। इस योग का आरंभ प्रात: 5:26 से 12:01 तक रहेगा। इस बीच कोई भी नया काम अथवा प्रभावशाली काम करने से बचें।


इस योग के साथ सिद्ध योग का भी आरंभ होगा। जो प्रात: 5:26 से आरंभ होकर 26 मई की रात 1:14 तक रहेगा। सिद्ध योग को शुभ योग माना जाता है इसलिए यमघंटक योग का प्रभाव कुछ कम हो जाएगा।


शनि को हम लोग प्राय: क्रूर या अशुभ ग्रह मानते हैं जबकि वास्तविकता यह है कि शनि मनुष्य को कठिनाइयों के समय में परिश्रम कराकर उसे सही और उचित मार्ग दिखाते हैं। शनि की साढ़ेसाती ढैया, विशोंत्तरी महादशा, अंतर्दशा आदि के प्रभाव को समाप्त करने के लिए शनि के तंत्रोक्त अथवा वेदोक्त मंत्र का जप, शनि यंत्र, रुद्राक्ष या रत्न धारण करने से शनि जनित प्रभावों को कम किया जा सकता है।


उपाय: असहाय व्यक्तियों की सेवा करने से, भैरव उपासना और शनि जयंति व शनैश्चरी अमावस्या के दिन गरीबों को अन्नदान करने से शनि की कृपा प्राप्त होती है।


शनि मंत्र
एकाक्षरी मंत्र-
ॐ शं शनैश्चराय नम:।

तांत्रिक बीज मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:।

वैदिक मंत्र- ॐ शन्नो देवीरमिष्टय आपो भवन्तु पीतयेशंयोरभि सृवन्तु न:।


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