अब बेटे को तिजौरी की चाबी पाने के लिए, बाप की मृत्यु का इंतजार नहीं करना पड़ेगा

punjabkesari.in Tuesday, Mar 21, 2017 - 10:00 AM (IST)

मुनि तरुण सागर के कड़वे प्रवचनों से जीवन में लाएं बहार। उनके अनुसार आज मनुष्य के पास सब कुछ होते हुए भी मन में शांति व खुशी नहीं है, दिमाग व्याकुल है। हंसी गायब हो गई है, खोई हुए हंसी को प्राप्त करने के लिए दम लगाना पड़ता है। मनुष्य इसे अपने दिमाग में उतार ले कि जो उसे प्राप्त है वह पर्याप्त है। अगर चादर छोटी है तो पैर फैलाकर नहीं सोना चाहिए।

 

आठवां फेरा 
शादी के समय सात फेरे लेने की रस्म है। वर-वधू सात फेरे लेकर जीवन की गाड़ी को ठीक प्रकार चलाने का संकल्प लेते हैं। मेरा मानना है कि सात फेरों के अलावा एक और आठवां फेरा भी होना चाहिए। यह आठवां फेरा भ्रूण हत्या रोकने के लिए होना चाहिए। वर-वधू संकल्प करें कि वे कभी भी भ्रूण हत्या नहीं करेंगे। जब तक देश में कन्या का जन्म पुत्र-जन्म की तरह स्वागत योग्य नहीं माना जाता तब तक हमें मानना होगा कि भारतीय समाज पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण से ग्रस्त है।


अगर आप...
अगर आप सास हैं तो अपनी बहू को इतना प्यार दीजिए कि वह अपने पीहर के फोन नम्बर ही भूल जाए और अगर आप बहू हैं तो प्रवचन सुनने के बाद ड्रैसिंग टेबल पर रखी सौंदर्य प्रसाधन की चार-छह शीशियां तो कम होनी ही चाहिएं। अगर आप बेटे हैं तो ऐसा आदर्श जीवन जिएं कि दुनिया तुम्हारे मां-बाप से पूछे कि किस पुण्य के उदय से तुमने ऐसी औलाद पाई है और अगर आप बाप हैं तो अपने जीवन से अपने जवान बेटे को यह विश्वास दिला देना कि अब बेटे को तिजौरी की चाबी पाने के लिए उसे बाप की मृत्यु का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।


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