इस एक मंत्र में छिपा है पूरी रामायण का सार

punjabkesari.in Sunday, Sep 22, 2019 - 03:32 PM (IST)

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हमारे हिंदू धर्म में ऐसे बहुत से ग्रंथ शामिल है, जोकि व्यक्ति के जीवन से जुड़े हुए हैं। उन्हीं में से एक है रामायण, जिसमें श्रीराम और रावण के बारे में बहुत सारी ऐसा कथाएं शामिल हैं, जिसे अगर कोई इंसान रोजाना नियम के अनुसार उसका अनुसरण कर ले तो उसके जीवन की सारी परेशानियों का हल निकल सकता है। वैसे तो रामायण काफी बड़ी हैऔर इसका रोज पाठ कर पाना बेहद कठिन होता है, इसलिए आज हम आपको एक ऐसे मंत्र के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें पूरी रामायण का सार छिपा है। कहते हैं कि इस एक श्लोक का जाप रोजाना करने से रामायण पढ़ने के बराबर पुण्य मिलता है।  
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मंत्र
आदि राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्। 
वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्। 
पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।।

अर्थ
श्रीराम वनवास गए, वहां स्वर्ण मृग का का वध किया। वैदेही यानि सीताजी का रावण ने हरण कर लिया, रावण के हाथों जटायु ने अपने प्राण गंवा दिए। श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता हुई। बालि का वध किया। समुद्र पार किया। लंकापुरी का दहन किया। इसके बाद रावण और कुंभकर्ण का वध किया। ये रामायण की संक्षिप्त कहानी है।
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मंत्र जाप के फायदे
इस मंत्र का जाप करने से शांति होने लगती है। इससे बुरे विचारों से छुटकारा मिल जाता है। नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करने से भगवान की कृपा जल्दी मिल सकती है।

कैसे करें मंत्र का जाप
इस मंत्र का जाप घर के मंदिर में करना चाहिए। रोज सुबह स्नान के बाद मंदिर में पूजा करें। साफ आसन पर बैठकर भगवान श्रीराम का ध्यान करते हुए मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें। ज्यादा समय न हो तो 11 या 21 बार भी कर सकते हैं।


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