एक क्लिक में जानें सबरीमाला मंदिर में होने वाले ‘मंडलम’ उत्सव की पूरी जानकारी

punjabkesari.in Saturday, Nov 16, 2019 - 01:45 PM (IST)

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सबरीमाला मंदिर पर महिलाओं की एंट्री को लेकर जो विवाद चल रहा था, एक बार फिर इस उसने तूल पकड़ लिया है। बता दें देश के प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाने वाले सबरीमाला मंदिर में काफी समय से महिलाओं की प्रवेश को लेकर विवाद चल रहा था जिसका फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने महिलाओं को मंदिर में जाने की अनुमति दे दी थी। परंतु अब इस फैसले के खिलाफ़ रिव्यू पेटिशन दायर की जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच अभी तक कोई फैसला नहीं ले पाई। जिसके बाद अब ये मामला 7 जजों के बेंच को सौंप दिया गया है। इसी विवाद के चलते आज कल सबरीमाला मंदिर सुर्खियां में बना हुआ है। 17 नवंबर से इस मंदिर का खास उत्सव ‘मंडलम’ शुरू होने वाला है। बता दें इस उत्सव को देखने लोग यहां दूर-दूर से आते हैं।
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आइए जानते हैं इस उत्सव की खासियत-
मंडलम के दौरान होती है मंडला पूजा
बताया जाता है ये पूजा धनु मास के समय यानि जब सूर्य धनु राशि में होता है उसके 11वें या 12वें दिन की जाती है। किंतु इसकी तैयारियां 41 दिन पहले ही शुरू हो जाती हैं। मलयालम कैलेंडर के अनुसार इस व्रत की शुरुआत जब सूर्य वृश्चिक राशि में होता है तब से हो जाती है। बता दें कि ज्योतिष विद्वान के अनुसार 17 नवंबर को सूर्य वृश्चिक राशि में जा रहा है। कहा जाता है सबरीमाला अयप्पा मंदिर में एक मंडला पूजा और दूसरा विलल्कू पर्व ये दोनों ऐसे उत्सव हैं जब मंदिर ज्यादा दिनों तक के लिए खोला जाता है।
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सबरीमाला मंदिर का इतिहास:
विश्वभर के तीर्थ स्थलों में इस मंदिर का नाम भी शामिल हैं, जिस कारण यहा न केवल भारत के बल्कि हर प्रांत से लोग भगवान अयप्पा के दर्शन करने आते हैं। अन्य मंदिरों की तरह सबरीमाला मंदिर भी भक्तों के दर्शन हेतु हर समय खुला नहीं मिलता है। इसके विपरीत ये मंदिर कुछ-कुछ अवधि के लिए खोला जाता है। मंदिर के नाम को लेकर पौराणिक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार भगवान राम को जूठे बेर खिलाने वाली सबरी के नाम पर इस मंदिर का नाम सबरीमाला रखा गया था। तो वहीं यहां विराजमान भगवान अयप्पा से जुड़ी धार्मिक मान्यता के मुताबिक ये भगवान शिव और भगवान विष्णु के स्वरूप मोहिनी की संतान हैं।
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Jyoti

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