Religious Concept: धर्म करता है मनुष्य का मार्गदर्शन

punjabkesari.in Saturday, May 22, 2021 - 12:56 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
चंदनपुर का राजा बड़ा दानी और प्रतापी था, उसके राज्य में सब खुशहाल थे पर राजा एक बात को लेकर बहुत चिंतित रहता था कि धर्म व दर्शन पर लोगों के विचारों में सहमति क्यों नहीं बनती। एक बार राजा ने विभिन्न धर्मों के उपदेशकों को आमंत्रित किया और कहा, ‘‘कुछ दिनों तक आप सब एक साथ रहेंगे और आपस में विभिन्न धर्मों और दर्शनों पर विचार-विमर्श करेंगे। जब आप सभी के विचार एकमत हो जाएंगे तो मैं आपको ढेरों उपहार देकर यहां से विदा करूंगा।’’ 

कक्ष में गहन विचार-विमर्श हुआ पर कुछ दिन बीत जाने पर भी वे एक मत नहीं हो पाए।

पड़ोसी राज्य में रहने वाले एक महात्मा जी को जब यह बात पता चली तो वह राजा से मिलने पहुंचे। उन्होंने राजा से अनाज मांगा। राजा उन्हें गोदाम तक ले गए। वहां पहुंचते ही महात्मा जी बोले, ‘‘राजन, तुम्हारे गोदाम में तो तरह-तरह के अनाज रखे हैं तुम इन सबकी जगह कोई एक अनाज ही क्यों नहीं रखते?’’

राजा बोले, ‘‘यह कैसे संभव है, अगर मैं गेहूं, चावल, दाल इत्यादि की जगह बस एक अनाज ही रखूंगा तो हम अलग-अलग स्वाद और पोषण के भोजन कैसे कर पाएंगे?’’

‘‘बिल्कुल सही राजन, जब तुम विभिन्न अनाजों की उपयोगिता एक से नहीं बदल सकते तो भला विभिन्न धर्मों के विचारों और दर्शनों को एक कैसे कर सकते हो? सबकी अलग-अलग उपयोगिता है और वे समय-समय पर मनुष्य का मार्गदर्शन करते हैं।’’ 

यह कहकर महात्मा जी ने अपनी बात पूरी की। राजा को अपनी गलती का अहसास हो चुका था। उन्होंने सभी उपदेशकों से क्षमा मांगते हुए उन्हें विदा कर दिया।


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Content Writer

Jyoti

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