रवि प्रदोष व्रत: भगवान शंकर की पूजा से कुंडली में कमज़ोर सूर्य होगा मज़बूत
punjabkesari.in Sunday, Aug 16, 2020 - 09:23 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज 16 अगस्त दिन रविवार को भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाला प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक मास में आने वाले दोनों मास की त्रयोदशी तिथि को शिव जी को समर्पित शिव प्रदोष व्रत मनाया जाता है। रविवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत आदि करने से न केवल भगवान शंकर बल्कि सूर्य देव की भी कृपा प्राप्त होती है। मगर कैसे? आइए आपको बताते हैं आपको इसकी संपूर्ण जानकारी साथ ही बताएंगे इसका शुभ मुहूर्त तथा इससे जुड़ी अन्य खास बातें-
सबसे पहले बता दें सनातन धर्म के अनुसार एक वर्ष में कुल 24 प्रदोष व्रत आते हैं। यूं तो इस दौरान भगवान शंकर की पूजा की जाती है। लेकिन ये व्रत जिस दिन पड़ता है, तो उस दिन के हिसाब से भी पूजा की जाती है। तो चूंकि ये व्रत इस बार रविवार के दिन पड़ रहा है, तो ऐसे में इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ सूर्य देव की भी पूजा करना अधिक लाभदायक है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा से सेहत से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
कैसे करें पूजा-
सूर्यादय से पूर्व उठकर स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद विधिवत भगवान शिव की पूजा करें।
महादेव की पूजा के दौरान बेलपत्र, दीप, धूप, अक्षत और गंगाजल का इस्तेमाल करें।
व्रत इस दिन निराहार रहें। चूंकि प्रदोष व्रत की पूजा संध्या काल में होती है इसलिए ध्यान रहे सूर्यास्त के बाद दोबारा स्नान करें।
और संभव हो तो उसके उपरांत सफ़ेद कपड़े धारण करें।
पूजा स्थल को गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लें।
गाय के गोबर से मंडप तैयार करें और उसमें 5 अलग रंगों से रंगोली तैयार करें।
इसके बाद ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और भगवान शिव को जल चढ़ाएं।
महत्व-
जो लोग रवि प्रदोष के दिन व्रत रखते हैं, उन पर सदा भगवान शिव व सूर्य देव की कृपा रहती है। साथ ही साथ उनके जीवन में सुख, शांति, यश व संपन्नता की कभी कोई कमी नहीं आती।
तो वहीं ज्योतिषियों की मानें तो जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमज़ोर हो तो उनके लिए ये व्रत रखना काफी लाभदायक होता है। इस व्रत से रखने से लोग निरोगी व दीर्घायु होते हैं।
शुभ मुहूर्त:
दिन व तिथि: 16 अगस्त 2020, रविवार, त्रयोदशी अभिजित मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 36 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक अमृत काल: 17 अगस्त सुबह 4 बजकर 22 मिनट से लेकर 5 बजकर 57 मिनट तक इस समय लगेगा राहुकाल: 16 अगस्त को राहुकाल का समय होगा दोपहर 4 बजकर 54 मिनट से लेकर साढ़े 6 बजे तक।
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