Radha Ashtami 2019: जानें, पूजा-विधि व महत्व

punjabkesari.in Friday, Sep 06, 2019 - 09:23 AM (IST)

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भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि राधाष्टमी के रूप में मनाई जाती है। इस साल 6 सिंतबर 2019 यानि आज राधाष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा। शास्त्रों में इस दिन व्रत रखने का विेषेश महत्व बताया गया है। राधाष्टमी के दिन श्रद्धालु बरसाना की ऊंची पहाड़ी पर स्थित गहवर वन की परिक्रमा करते हैं। इस दिन रात-दिन बरसाना में बहुत ज्यादा रौनक होती है, इसके साथ ही अलग-अलग तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों को आयोजन किया जाता है। बता दें कि राधा जी भगवान श्रीकृष्ण से बड़ी थीं। राधा का प्रकाट्य भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को और श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। राधाष्टमी का व्रत करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। आज हम आपको राधा अष्टमी पर की जाने वाली पूजन विधि व महत्व के बारे में बताएंगे। 
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पूजा-विधि
राधाष्टमी के दिन शुद्ध मन से व्रत का पालन किया जाता है। इस दिन राधा जी की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराते हैं और उसके बाद उनका श्रंगार किया जाता है।

राधा जी की सोने या किसी दूसरी धातु से बनी सुंदर प्रतिमा को विग्रह में स्थापित किया जाता है। दोपहर के समय भक्ती और श्रद्धा के साथ राधा जी की अराधना की जाती है। धूप-दीप से आरती के बाद राधाजी को भोग लगाया जाता है। कई ग्रंथों में राधाष्टमी के दिन राधा-कृष्णा की संयुक्त रूप से पूजन की बात कही गई है।
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कहा जाता है कि इस दिन 27 पेड़ों की पत्तियां और 27 ही कुओं का जल इकट्ठा करें। सवा मन दूध, दही और शुद्ध घी, बूरा और औषधियों से मूल शांति करें। अंत में कई मन पंचामृत से वेदिक मंत्रों के साथ श्यामश्याम का अभिषेक करें। 

नारद पुराण के अनुसार, राधाष्टमी का व्रत करने वाले भक्तगण ब्रज के दुर्लभ रहस्य तो जान लेते हैं। जो व्यक्ति इस व्रत को विधिवत तरीके से पूरा करता है, उसे सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
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महत्व
बता दें कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन श्री राधा जी के श्री चरणों के दर्शन होते हैं। उनके चरणकमलों की सुन्दरता का वर्णन कर पाना भी किसी के लिए सम्भव नहीं है। वैसे पूरा साल उनके श्री चरण हमेशा ढके रहते हैं, उनके भक्तगण केवल इसी दिन चरणों का दर्शन कर सकते हैं। 


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