राधा अष्टमी 2019ः पूजन के बाद करें इस आरती से राधा रानी को प्रसन्न

punjabkesari.in Thursday, Sep 05, 2019 - 03:15 PM (IST)

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राधा जी का भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को रावल में वृषभानु और कीर्ति जी के घर जन्म हुआ था। हिंदू धर्म के अनुसार इस साल राधाष्टमी का पर्व कल यानि 06 सितंबर को मनाया जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन फलाहार करते हुए व्रत रखना चाहिए। वैसे तो राधा रानी की पूजा का विधान दोपहर में होता है और उसके बाद ही व्रत खोला जाता है। लेकिन कई लोग पूरा दिन व्रत करते हैं और राधा व कृष्ण की आराधना करते हैं। 
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दोपहर की पूजा के बाद राधा रानी की आरती होती है। घी के दीपक या कपूर से राधाजी की आरती करें और घंटी तथा शंख बजाएं। साथ ही साथ राधाजी की आरती का पाठ भी करें। इससे राधा जी प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरी करती हैं, उनको धन-धान्य से परिपूर्ण कर देती हैं। चालिए जानते हैं पूजा के बाद होने वाली आरती के बारे में। 

राधा जी की आरती
आरती श्री वृषभानुसुता की |

मंजु मूर्ति मोहन ममताकी || टेक ||

त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,
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विमल विवेकविराग विकासिनि ,

पावन प्रभु-पद-प्रीति प्रकाशिनि,

सुन्दरतम छवि सुन्दरता की ||

मुनि-मन-मोहन मोहन मोहनि,

मधुर मनोहर मूरती सोहनि,

अविरलप्रेम-अमिय-रस दोहनि,

प्रिय अति सदा सखी ललिताकी||

संतत सेव्य सत-मुनि-जनकी,

आकर अमित दिव्यगुन-गनकी,

आकर्षिणी कृष्ण-तन-मनकी,

अति अमूल्य सम्पति समता की||
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कृष्णात्मिका, कृष्ण-सहचारिणि,

चिन्मयवृन्दा-विपिन-विहारिणि,

जगज्जननि जग-दुःखनिवारिणि,

आदि अनादिशक्ति विभुताकी ||


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