राम मंदिर की नींव को लेकर उठे सवाल, जानिए यहां क्या है पूरा माजरा

punjabkesari.in Monday, Dec 21, 2020 - 04:59 PM (IST)

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5 अगस्त को अयोध्या राम मंदिर के भूमि पूजन के 138 दिन बाद भी मंदिर की नींव को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इससे देश की प्रतिष्ठित भवन निर्माण संस्थाएं सवालों के घेरे में आ गईं हैं। आपको बता दें कि लार्सन एंड टूब्रो (L&T) ने मंदिर की नींव के लिए भूमिगत खंभे की डिजाइन, केंद्रीय भवन शोध संस्थान रुड़की, IIT चेन्नई और NIT सूरत की मदद से तैयार की थी। और अब नींव की समीक्षा करने के बाद हाई एक्सपर्ट कमेटी सोमवार को अपनी रिपोर्ट मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र को सौंपेगी।
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इस पर मंदिर के आर्किटेक्ट सीबी सोमपुरा के बेटे निखिल सोमपुरा ने कहा-
मंदिर शास्त्र में परंपरागत तरीके से चूने और पत्थर से ही मंदिर की नींव तैयार की जाती है। कुछ मंदिरों में हमने आधुनिक पद्धति का भी प्रयोग किया है। जहां तक श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की नींव की बात है तो उसकी नींव कैसी हो, इस पर बनी विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है। क्योंकि, नींव तैयार करने वाली एजेंसी का मानना है कि जन्मस्थान की जमीन की वजन सहन करने की क्षमता कम है। सबके अपने-अपने विचार हैं। हम इसमें कुछ नहीं कर सकते।

उधर, मध्य प्रदेश के जबलपुर में बन रहे देश के सबसे बड़े 268 फीट ऊंचे जैन मंदिर के आर्किटेक्ट स्नेहिल पटेल ने कहा कि राम मंदिर की नींव में अड़चन के पीछे इसकी डिजाइन है।जानकारी के लिए बता दें कि ट्रस्ट ने खंभों पर नींव तैयार करने के लिए शुरुआती तौर पर L &T को 29.5 करोड़ दिए हैं। जिसके बाद 14-15 सितंबर को टेस्टिंग के लिए दो स्थानों पर 10 टेस्ट पिलर तैयार किए हैं। एक मीटर मोटे 100 फीट गहरे इन पिलर्स को सीमेंट और कॉन्क्रीट से तैयार किया गया है। 28 दिन पकने के बाद इनकी टेस्टिंग विशेषज्ञों द्वारा की गई। लेकिन पिलर की टेस्ट रिपोर्ट संतोषजनक नहीं रही। इसके बाद मिट्टी को लेकर सवाल खड़े किए गए। ट्रस्ट ने मंदिर के निर्माण कार्य की निगरानी की जिम्मेदारी टाटा कंसल्टिंग इंजीनियरिंग (टीसीई) को दी है।
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चलिए अब आपको वो सवाल बताते हैं जिनके जवाब कमेटी देगी-

मिट्टी दुरुस्त है या नहीं?

मंदिर की भूकंप रोधी डिजाइन का मूल्यांकन सही है या नहीं?

मंदिर के डिजाइन को देश-विदेश में बने मंदिरों से अध्ययन करें?

प्रस्तावित नींव के तरीके का मूल्यांकन?

मिट्टी में जहरीले रसायनों की मौजूदगी का असर और भूकंप से बचाव के उपायों की समीक्षा। साथ ही भूमिगत पानी का असर?
 
बताया जा रहा है इन तमामों सवालों के जवाब रिपोर्ट मिलने के बाद ही मिलेंगे और इसके बाद ही तय किया जाएगा कि आगे की प्रोसेस क्या होगी।
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Jyoti

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