COVID 19: जुलाई में कोरोना की दवाई विकसित होने के आसार
punjabkesari.in Monday, Apr 20, 2020 - 09:38 AM (IST)
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जालन्धर (धवन): विक्रमी नवसम्वत् 2077 की शुरूआत 24 मार्च 2020 को उस समय हुई थी जब देश में आंशिक लॉकडाऊन की स्थिति चल रही थी। विक्रमी नवसम्वत् के 7वें घर में 2 क्रूर ग्रह मंगल व शनि की स्थिति 7वें घर में होने के कारण अर्थव्यवस्था, व्यापार व कारोबार व सामाजिक भ्रातृभाव में तनाव की स्थिति को दर्शाता है। देश के प्रमुख ज्योतिषाचार्य संजय चौधरी के अनुसार विक्रमी नवसम्वत् का राजा बुध तथा चंद्रमा मंत्री है। नवसम्वत कुंडली में 7वें व 8वें घर का स्वामी शनि है जिसकी दृष्टि चंद्रमा पर होने के कारण स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के उबरने का संकेत देता है।
उन्होंने कहा कि मंगल 4 मई को गोचर में राशि परिवर्तन करेगा, जिससे कोरोना वायरस के मुद्दे पर कुछ राहत के संकेत दिखाई दे रहे हैं।
गोचर में राहू आद्रा नक्षत्र में 18 वर्षों के बाद संचार कर रहा है, इस कारण पूरे विश्व भर में लोगों की आंखों में आंसू किसी न किसी ढंग से दिखाई दे रहे हैं, अगर पूर्व का अध्ययन किया जाए तो राहू के आद्रा नक्षत्र के समय ही अमरीका में 9/11 घटना, गुजरात भूकंप आदि आए थे।
अब मौजूदा समय में राहू आद्रा नक्षत्र को 22 मई को अलविदा कहेगा, जिससे विश्व में राहत महसूस होगी।
उन्होंने कहा कि जून-जुलाई में 3 ग्रहण आ रहे हैं जिनमें से तो 2 ग्रहण भारत में दिखाई देंगे जो भारत की कुंडली में दूसरे व 8वें घर को अपने घेरे में लेंगे जिससे कुछ अप्रत्याशित समस्याएं उभर सकती हैं।
21 मई को सूर्य ग्रहण भारत की स्थापना की कुंडली में मंगल के ऊपर दूसरे घर में लगेगा, जिससे कुछ विस्फोटक नतीजे जैसे वायरस द्वारा फिर से सिर उठाना, विदेशी शत्रुओं द्वारा भारत के अंदरूनी मामलों में दखलअंदाजी व गड़बड़ करवाना, धार्मिक कट्टरवादिता से संबंधित धटनाएं हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि भारत को इस समय चंद्रमा महादशा में शनि की अंतर्दशा व केतू की प्रत्यंत्र दशा 30 से 4 जुलाई तक आएगी।
उन्होंने कहा कि ग्रहों के गोचर से कुछ सकारात्मक घटनाएं होने का भी संकेत दिखाई दे रहा है। कोरोना वायरस से पीड़ित रोगियों के इलाज के लिए नई दवाई 16 जुलाई या उसके आसपास को विकसित हो सकती है।
शनि जोकि जनता तथा लोकतंत्र का कारक ग्रह है की भारतीय कुंडली में 9वें घर में बृहस्पति के साथ युती बनी हुई है। इससे समाज का झुकाव धार्मिक कार्यों की तरफ और बढऩे के संकेत मिल रहे हैं। इसी तरह से विश्व में पूंजीवाद के साथ-साथ समाजवाद को फिर से बढ़ावा मिल सकता है।
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