समाज की मजबूत नींव के लिए जरूरी है हर इंसान के लिए ये एक चीज़

punjabkesari.in Thursday, Oct 17, 2019 - 11:44 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सच्चे ज्ञान की सार्थकता तभी है जबकि वह मनुष्य के आचरण में भी उतरे। केवल इतना जान लेना ही धर्म नहीं है और न यह पर्याप्त है कि झूठ बोलना पाप है। इसकी सार्थकता तभी है जब यह जान लेने के बाद व्यक्ति झूठ बोलने की प्रवृत्ति का त्याग कर दे। हमें श्रेष्ठता के मुकाम तक पहुंचने के लिए धर्म को स्वयं में प्रतिष्ठापित करना होगा। बाहरी अवधारणाओं को बदलना होगा, 
जीने की दिशा को मोड़ देना होगा। तभी जीवन के अंधेरों से मुक्ति मिलेगी और निर्माण का रास्ता साफ-सुथरा बन पाएगा।
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विपरीत या नापसंद स्थितियों के बीच अपने आप पर काबू रखना और उनमें से एक नया पहलू निकालना, यही होती है महापुरुषों की पहचान। माइनस को प्लस में बदलने की योग्यता स्कूली किताबों से नहीं आती, महापुरुषों के जीवन की घटनाओं और नैतिक आदर्शों के व्यवहार वाले उदाहरणों से आती है। परस्पर सहयोग, परस्पर आदर यही आधार होना चाहिए एक अच्छे समाज का।
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आदर्श और नैतिक आचरण के बिना किसी भी समाज की नींव मजबूत नहीं हो सकती। विज्ञान की उन्नति से भौतिक सुख मिल सकते हैं, मानसिक शांति नहीं। हम कई काम कर सकते हैं पर हमें उन्हें करना चाहिए या नहीं, यह हमें तय करना होता है। काम के नतीजे क्या होंगे, इस पर भी सोचना होता है। ऐसा होता ही नहीं कि काम करें और नतीजे न आएं। वर्तमान में सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता यह है कि हमारा प्रत्येक कार्य धर्म से प्रेरित हो। आज हमारे लक्ष्य अति भौतिकवादी हैं। हम भौतिक रूप में उन्नति कर रहे हैं और इंसानियत के मोर्चे पर पिछड़ रहे हैं। यही स्थिति हमारी ज्यादातर समस्याओं का मूल है।


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