Niti Gyan: विश्वास की होनी चाहिए एक सीमा

punjabkesari.in Sunday, Oct 03, 2021 - 07:00 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हमारे सनातन धर्म के शास्त्रों में कई विद्वानों का जिक्र मिलता है जिन्होंने अपने नीतियों के दम पर बड़े बड़े युद्धों में अपना योगदान दिया है। तो वहीं इन विद्वानों की नीतियों को वर्तमान समय में अपनाने वाला व्यक्ति अपने जीवन में बहुत उपलब्धियों प्राप्त करता है। तो आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ नीतियां जो चाणक्य से लेकर महाभारत के विदुर तक द्वारा दी गई है। 

नीति:अनुपद्रवं देशमावसेत्।
ये श्लोक आचार्य चाणक्य द्वारा लिखित है जिसमें चाणक्य बताना जा रहे हैं कि जहां कभी उपद्रव, लड़ाई-झगड़े न होते हों, ऐसे ही देश में रहना चाहिए। 

नीति: नात्यन्तं विश्वसेत् कच्चिद् विश्वस्तमपि सर्वदा
शुक्र नीति इस श्लोक में बताना चाहते हैं जब भी किसी व्यक्ति पर विश्वास करें, उसकी एक सीमा होनी चाहिए। गुरु शुक्राचार्य कहते हैं कि किसी पर भी हद से ज्यादा विश्वास करना आपके लिए घातक हो सकता है, क्योंकि कई लोग भरोसेमंद होने का दावा तो करते हैं लेकिन अंदर-अंदर ही आपसे बैर रखते हैं।

नीति: धर्मनीतिपरो राजा चिरं कीर्ति स चाश्रुते
गुरु शुक्राचार्य में इस श्लोक द्वारा बताना चाहा है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का सम्मान और उसकी बातों का पालन करना चाहिए क्योंकि धर्म ही मनुष्य को सम्मान दिलाता है। गुरु शुक्राचार्य कहते हैं कि धर्म की राह पर चलने वाला इंसान कभी नहीं हारता। 

नीति: त्यजेद् दुर्जनसंगतम्
इस श्लोक में  गुरु शुक्राचार्य कहते हैं कि बुरे काम करने वाले इंसान से दूर रहना ही बेहतर होता है। गुरु शुक्राचार्य कहते हैं कि बुरे काम करने वाला व्यक्ति कितना भी प्रिय क्यों न हो, उसे छोड़ देना ही बेहतर होता है। वरना मुसीबतों जीवन की राह में आने लगती है।


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Content Writer

Jyoti

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