Navratri 2020: मंत्रों से अनजान हैं तो दुर्गा पूजन करते समय करें ये काम, मिलेगा पुण्य लाभ

punjabkesari.in Saturday, Oct 24, 2020 - 07:01 AM (IST)

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Durga Puja 2020: सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर शुद्ध एवं एकांत स्थान में आसन पर बैठ कर मातेश्वरी की उपासना करें। स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करके ही उपासना करें। तन-मन, स्थान और अन्य कोई भी मलीनता मां दुर्गा को पसंद नहीं, अत: उपासना स्थल पर गंगाजल के छींटे मार कर ही आप उपासना के लिए बैठेंगे तथा एकाग्र चित्त होकर भगवती के मंत्रों का स्तवन करेंगे। उपासना करते समय आप केवल मंद स्वर में अथवा मन ही मन मंत्र पढ़ेंगे।

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Navratri and Durga Puja 2020: सच्चे मन से कुछ दिनों तक नियमित रूप से भगवती की उपासना करने पर न केवल उपासना में पूर्ण आनंद आने लगेगा, बल्कि आपकी मानसिक शक्ति और हृदय की पवित्रता भी बढ़ जाएगी। भगवती के मंत्रों का शुद्ध लयबद्ध रूप में परन्तु मंद स्वर में पाठ आवश्यक है। इसके लिए आप मंत्रों को कंठस्थ तो कर ही लीजिए। पुस्तक सामने रख कर साधना तो क्या आराधना भी नहीं हो सकती क्योंकि तब हमारा ध्यान मां के चरणों में लग ही नहीं पाएगा, पुस्तकों के पृष्ठों में ही भटकता रहेगा।

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What is Durga mantra: विधि-विधान से पूजन किए जाने से अधिक मां दुर्गा भावों से पूजन किए जाने पर अधिक प्रसन्न होती हैं। अगर आप मंत्रों से अनजान हैं तो केवल पूजन करते समय दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र

 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे'

से समस्त पूजन सामग्री अर्पित करें। मां शक्ति का यह मंत्र समर्थ है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार पूजन सामग्री लाएं और प्रेम भाव से पूजन करें। संभव हो तो श्रृंगार का सामान, नारियल और चुनरी अवश्य अर्पित करें। श्रद्धा भाव से ब्रह्म मुहूर्त में और संध्याकाल में सपरिवार आरती करें और अंत में क्षमा प्रार्थना अवश्य करें।

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Maa durga ki aarti: मां दुर्गा की आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी ।| जय अम्बे गौरी॥

मांग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को |मैया टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको|| जय अम्बे गौरी॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे| मैया रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे|| जय अम्बे गौरी॥

केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी| मैया खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी|| जय अम्बे गौरी॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती| मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति|| जय अम्बे गौरी॥

शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर घाती| मैया महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती|| जय अम्बे गौरी॥

चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे| मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे|| जय अम्बे गौरी॥

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी| मैया तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी|| जय अम्बे गौरी॥

चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों| मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू|| जय अम्बे गौरी॥

तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता| मैया तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता|| जय अम्बे गौरी॥

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी| मैया वर मुद्रा धारी
मन वांछित फल पावत देवता नर नारी|| जय अम्बे गौरी॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती| मैया अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती|| बोलो जय अम्बे गौरी॥

मां अम्बे की आरती जो कोई नर गावे| मैया जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे|| जय अम्बे गौरी॥

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Maa durga mantra- देवी वन्दना:
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता|
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:||

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Niyati Bhandari

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