Muni Shri Tarun Sagar- कड़वे प्रवचन...लेकिन सच्चे बोल

punjabkesari.in Wednesday, Mar 10, 2021 - 05:16 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आजकल मैंने मीठा बोलना बंद कर दिया है कारण कि मैं मीठा बोलता हूं तो लोगों को लगता है कि जैसे मैं उन्हें सुलाने के लिए लोरी गा रहा हूं।

आज समाज और देश, कुंभकर्ण की भांति गहरी नींद सोया हुआ है और सोते समाज व देश को जगाने के लिए लोरी काम नहीं आती, इसके लिए तो शेर-हाथी, जैसी दहाड़ और ङ्क्षचघाड़ चाहिए।  

कड़वा बोलना मेरी प्रकृति नहीं है, ड्यूटी है। अगर वैद्य, संत और सचिव मीठा बोलने लगे, तो समझना सेहत, समाज और देश का सत्यनाश होने वाला है।

अधमरा समाज किसी काम का नहीं
मैंने जिंदगी में एक भी मुर्दे को नहीं फूंका। छोटा था, इस कारण श्मशान जाने का कभी काम नहीं पड़ा। शुरू-शुरू में मुझे इस बात का पश्चाताप रहता था। फिर एक दिन मुझे लगा जैसे भगवान महावीर मुझसे कह रहे हैं :

तरुणसागर! तुम्हारा जन्म मुर्दों को फूंकने के लिए नहीं बल्कि मुर्दों में प्राण फूंकने के लिए हुआ है और बस मैं उसी दिन से मुर्दा हो चले व्यक्ति समाज और देश में प्राण फूंकने के लिए प्राणपण से जुट गया।  

याद रखें : अधमरा आदमी और अधमरा समाज किसी काम का नहीं।

सुनने की आदत डालो
सुनने की आदत डालो क्योंकि दुनिया में कहने वालों की कमी नहीं है। कड़वे घूंट पी-पीकर जीने और मुस्कुराने की आदत बना लो क्योंकि दुनिया में अब अमृत की मात्रा बहुत कम रह गई है।
अपनी बुराई सुनने की खुद में हिम्मत पैदा करो क्योंकि लोग तुम्हारी बुराई करने से बाज नहीं आएंगे। आलोचक बुराा नहीं है। वह तो जिंदगी के लिए साबुन-पानी का काम करता है।

जिंदगी की फिल्म में एक खलनायक भी तो जरूरी है। गली में दो-चार सूअर हों तो गली साफ रहती है।

स्वर्ग या नरक
मरने वाला मर कर स्वर्ग गया है या नरक? अगर कोई यह जानना चाहता है तो इसके लिए किसी संत या ज्योतिषी से  मिलने की जरूरत नहीं है बल्कि उसकी शव यात्रा में होने वाली लोगों की बातों की गौर से सुनने की जरूरत है।

यदि लोग कह रहे हों कि बहुत अच्छा आदमी था अभी तो उसकी देश अभी समाज को बड़ी जरूरत थी, जल्दी चल बसा तो समझना कि वह स्वर्ग गया है और यदि लोग कह रहे हों कि अच्छा हुआ धरती का एक पाप तो कम हुआ तो समझना मरने वाला नरक गया है।


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Content Writer

Jyoti

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