Muni Shri Tarun Sagar: कड़वे प्रवचन...लेकिन सच्चे बोल

punjabkesari.in Sunday, Feb 20, 2022 - 11:45 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

हंसना ही भक्ति है
मुंह खोल कर तो दुनिया हंसती है। मैं चाहता हूं कि तुम दिल खोल कर हंसो क्योंकि जो दिल खोल कर हंसता है उसे दिल का दौरा नहीं पड़ता। हंसना यही भक्ति है, हंसाना यही मुक्ति है, मुस्कुराना यही जप है, खिलखिलाना यही तप है। जब तुम रोते हो तो एकदम कच्चे लगते हो, मुस्कुराते हो तो एकदम बच्चे लगते हो, हंसते हो तो एकदम अच्छे लगते हो मगर जब तुम किसी रोते को हंसाते हो तो एकदम सच्चे लगते हो।

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जीवन को उत्सव बनाएं
जीवन को उत्सव कैसे बनाएं अगर यह सीखना है तो गीता के पास जाओ और मृत्यु को महोत्सव कैसे बनाएं-अगर यह सीखना है तो महावीर के पास जाओ।

महावीर कहते हैं,‘‘मृत्यु मातम नहीं है, महोत्सव है। मृत्यु को महोत्सव बनाने के लिए जीवन में पुण्य और धर्म का संचय करते चलो। जीवन में पुण्य नहीं होगा तो मौत बिगड़ जाएगी और धर्म नहीं होगा तो परलोक बिगड़ जाएगा। धर्म जीवन को संवारता है, पुण्य मौत को संवारता है।’’

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भोजन से पहले भजन 
आदमी की जिंदगी खाने-पीने में जा रही है। सुबह उठते ही पहला प्रश्न होता है- चाय बन गई क्या? रात दो बजे तक खाता रहा, पीता रहा, खाते-पीते सो गया। मैं पूछता हूं, ‘‘यह आदमी है या भुखमरा?’’

यह बात हमेशा याद रखें कि शरीर के लिए भोजन जरूरी है, मगर भोजन से पहले भजन जरूरी है क्योंकि भजन आत्मा की खुराक है। हमें जीने के लिए खाना है, खाने के लिए नहीं जीना है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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