कड़वे प्रवचन... लेकिन सच्चे बोल: सबको अपने भाग्य का ही भाग मिलता है

punjabkesari.in Monday, Oct 04, 2021 - 11:43 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Muni Shri Tarun Sagar: एक विद्वान था। पैदल यात्रा करता था। चलते-चलते जंगल आ गया। उसने सोचा खुला मैदान है, क्यों न मैं यहां भोजन बनाकर खा लूं। उसने गीली मिट्टी से चौका तैयार किया और लकड़ी बीनने चला गया। इतने में एक गधा आया और चौके पर बैठ गया। सब गुड़-गोबर हो गया। उसने गधे को देखा और कहा, ‘‘कोई और होता तो कहते गधे हो क्या, दिखता नहीं है? पर अब आपसे क्या कहें? आप तो बस आप हैं।’’

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जीवन में भी कई बार ऐसा होता है- हम कोई चौका बनाते हैं और कोई गधा आकर उस पर बैठ जाता है।

पति ने पत्नी से कहा, ‘‘देख! मालिक दरवाजा खटखटाता है। जा और उससे कह दे कि मैं घर पर नहीं हूं।’’

पत्नी  बोली, ‘‘तुम भी कमाल करते हो। सुबह ही तो नियम लिया कि चार महीने झूठ नहीं बोलूंगा और चार घंटे भी नहीं हुए कि झूठ!’’

पति बोला, ‘‘किसने कहा झूठ! मेरा नियम न टूटे इसीलिए तो तुम्हें भेज रहा हूं।’’
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कुत्ता कुत्ते का दुश्मन है। पता नहीं यह दुश्मनी किस जन्म की है लेकिन कुत्ता कुत्ते को देखता है तो भौंकता है, गुर्राता है। जब कोई आदमी किसी दूसरे को खाता-पीता, फलता-फूलता और आगे बढ़ता देख कर उससे जलता है और उसे देखकर भौंकता है तो समझ लेना कि उसके भीतर का कुत्तापन जाग रहा है। भाई भाई को देखे और भौंके तो वह कुत्ता नहीं तो और क्या है?

सबको अपने भाग्य का ही भाग मिलता है। जो व्यक्ति अपने भाग्य को कोसने लगता है, समझ लीजिए कि उसकी उन्नति रुक गई। आज का पुरुषार्थ ही कल का भाग्य बनता है। पुरुषार्थ बड़ा है। पुरुषार्थ से ही भाग्य भी टिकता है।

महावीर का धर्म पुरुषार्थवादियों का धर्म है, भाग्यवादियों का नहीं। भगवान से प्रार्थना करो कि प्रभु सबको सुख दें। हमारे कर्म हमें देंगे। उसका भाग्य उसे देगा।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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