मुनि तरुण सागर जी- आप किसी अवसाद या डिप्रैशन के शिकार हो...
punjabkesari.in Friday, Dec 11, 2020 - 08:40 AM (IST)
‘कड़वे प्रवचन...लेकिन सच्चे बोल’
‘दो फूल’
संत मुनियों का चरित्र अद्भुत है। गोस्वामी तुलसी दास जी ने साधु के चरित्र को कपास के फूल की उपमा दी तो किसी ने पूछा, ‘‘बाबा! आपने ऐसा क्यों किया। फूलों का राजा तो गुलाब है, उसकी उपमा क्यों नहीं दी?’’
गोस्वामी जी ने कहा, ‘‘गुलाब सुंदर है, लेकिन उसमें दो बातें हैं-एक तो कांटे हैं और दूसरा बाद में वह किसी काम नहीं आता जबकि कपास का फूल अपने अस्तित्व को मिटाकर मनुष्य के तन को ढंकता है।’’
‘ध्यान में खो जाना’
अगर जिंदगी में आप किसी अवसाद या डिप्रैशन के शिकार हों तो नशे की शरण में जाने, नींद की गोलियां खाने या फिर रोने के लिए किसी का कंधा तलाशने की बजाय बस एक काम करना- घंटा भर के लिए अपने भीतर में उतर जाना, ध्यान में खो जाना। वहां समाधि की एक ऐसी लहर आएगी जो तुम्हारे जीवन के तमाम दुख तकलीफ को अपने साथ बहाकर ले जाएगी।
‘यह जिंदगी’
आज तुम्हारा जन्म दिन है तो ज्यादा खुश मत होना। मनाना जरूर लेकिन इस दिन यह भी याद रखना कि तुम्हारी जिंदगी का एक साल कम हो गया है, मौत एक कदम तुम्हारे और करीब आ गई है। जन्म दिन पर हम गुजरे हुए वर्षों के बारे में न सोचें बल्कि आने वाले वर्षों के बारे में सोचें कि जीवन में ऐसा क्या रह गया है जिसे करना था और हम अब तक नहीं कर पाए। लोग तालियों की गड़गड़ाहट के बीच मोमबत्तियां बुझाते हैं। मोमबत्तियां बुझाना क्या दर्शाता है?
‘मौत के दफ्तर में छुट्टी कहां’
वक्त शक्तिशाली है। घड़ी के कांटे चलते रहते हैं। आदमी जन्मता है, जीता है और मर जाता है। मौत के दफ्तर में छुट्टियां कहां होती हैं? समय की कटोरी कभी खाली नहीं होती। चाहे जितना निकालो। वक्त को बदलने में देर नहीं लगती। आज वक्त उनका है, सब्र रखो कल वक्त तुम्हारा भी होगा। तू परेशान क्यों होता है, कल तेरा भी वक्त अच्छा होगा।
‘सब गड़बड़ियों की जड़’
ताने मारना और आंख मारना मर्यादा के खिलाफ है। दुनिया में जितने लोग ताने मारने से मरते हैं उतने शायद अस्त्र-शस्त्र से भी नहीं मरते होंगे। जो आंख मारना और ताने मारना-इन दोनों को संभाल लेता है, वही आदर्श गृहस्थ होता है। अपनी आंखों और जुबान को संभाल कर रखना चाहिए। सारी गड़बड़ियां इन्हीं से शुरू होती हैं।