Smile please: अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए करें बेशुमार दौलत का प्रबंध

punjabkesari.in Monday, Mar 22, 2021 - 11:31 AM (IST)

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Religious Katha- कई बार ऐसा होता है कि हम अकारण ही किसी बात की चिंता करके अपने सुखी जीवन को दुखमय बना लेते हैं। किसी शहर में धर्मदत्त नामक सेठ रहता था। अपार सम्पत्ति का स्वामी होने के बावजूद वह हमेशा उदास रहता था। उसे अपनी भावी पीढ़ी की चिंता सताती रहती थी।

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एक बार भगवान महावीर उस शहर में आए। गंगा के तट पर उनका प्रवचन हो रहा था। धर्मदत्त भी वहां पहुंचा। वह पहली कतार में बैठकर प्रवचन सुन रहा था लेकिन उसका मन कहीं और था। 

प्रवचन के बाद भगवान महावीर ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो सेठ ने कहा, ‘‘प्रभु, मुझे किसी चीज की कमी नहीं है। मेरे पास इतनी दौलत है कि मेरी सात पीढ़िया आराम से बैठकर खा सकती हैं लेकिन मुझे चिंता है कि मेरी आठवीं पीढ़ी अपना गुजर-बसर कैसे करेगी?’’

भगवान महावीर ने कहा, ‘‘तुम्हारी चिंता मैं दूर कर देता हूं। तुम्हें इतनी दौलत दे दूंगा कि तुम्हारी आखिरी पीढ़ी सुख से रहेगी। इसके लिए तुम्हें एक काम करना होगा। यहां आश्रम के पीछे एक झोंपड़ी में एक मजदूर का परिवार रहता है। तुम उससे कहो कि वह अपनी आवश्यकता का आटा अपने पास रख कर बाकी तुम्हें दे।’’

सेठ वहां गया और उसने वैसा ही कहा। मजदूर की पत्नी घर के अंदर से एक हंडिया ले आई और उसे देते हुए बोली, ‘‘ले जाओ भाई, मेरे पास इतना ही आटा है।’’ 

सेठ ने कहा, ‘‘नहीं-नहीं आप अपनी जरूरत का आटा रख लें और जो बचे उसे हमें दें।’’ 

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मजदूर की पत्नी ने कहा, ‘‘अगर मैंने अपनी जरूरत का आटा रख लिया तो मैं तुम्हें कुछ भी नहीं दे पाऊंगी। जिस ईश्वर ने मुझे आज आटा दिया है वह कल भी देगा।’’

सेठ खाली हाथ लौट आया और उसने भगवान महावीर को सारी बात बताई।

भगवान महावीर बोले, ‘‘सेठ, एक मजदूर की स्त्री है फिर भी उसने कल की चिंता नहीं की और एक तुम हो कि अपनी आठवीं पीढ़ी की चिंता में अपने आपको जला रहे हो। क्या तुम्हारी आगामी पीढ़ी अपाहिज, जाहिल और निकम्मी होगी, जिसके लिए तुम चिंतित हो?’’ 

सेठ को अपनी गलती का एहसास हुआ। वह भगवान महावीर के चरणों में नतमस्तक हो गया। उस दिन से सेठ ने आगे की चिंता छोड़ दी और सुखी रहने लगा। 

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Content Writer

Niyati Bhandari

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