Motivational Concept: पाप का बाप लोभ

punjabkesari.in Wednesday, Aug 17, 2022 - 10:38 AM (IST)

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एक सेठ जी थे। वे बहुत ही लोभी थे। कभी भी दान-पुण्य नहीं करते थे। कभी किसी याचक को कुछ भी दान नहीं देते थे। एक दिन सेठ जी रात्रि को जब सो रहे थे और शायद लक्ष्मी के स्वप्र देख रहे थे, तब उनके घर एक चोर घुस आया। सेठ जी की अचानक नींद खुल गई और चोर पकड़ा गया। चोर पर मुकद्दमा चला तो उसने अवसर निकाल कर सेठ जी से कहा, ‘‘सेठ जी! आपका कितना नुक्सान हुआ होगा?’’

सेठ ने कहा, ‘‘लक्ष्मी जी की कृपा से बच गया रे भाया! वरना लूट जातो। फेर भी पचास-साठ रुपया को नुक्सान तो होया-ई-होगा।’’ 

चोर बोला, ‘‘सेठ जी-मैं आपको पचास-साठ रुपए की जगह एक सौ, पूरे एक सौ रुपए दूंगा। आप अदालत में इतना कह दो कि यह मेरा बेटा है। बहुत समय से भागा हुआ है। मेरे बेटे ने ही घर में चोरी की है। घर में ही की गई चोरी अपराध नहीं मानी जाएगी और मैं बच जाऊंगा।’’

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सेठ जी को लालच आ गया। लोभी तो थे ही जन्म-जन्म के। चतुर चोर के जाल में फंस गए। उन्होंने अदालत में वैसा ही कह दिया जैसा कि चोर ने कहा था। चोर छूट गया।चोर तो छूट गया, लेकिन सेठ जी फंस गए। चोर तो था ही होशियार। छूटते ही अदालत में अपना दावा पेश कर दिया कि मैं सेठ जी का इकलौता बेटा हूं, मुझे सेठ जी की आधी सम्पत्ति दी जाए। 

सेठ जी ने स्वयं ही अदालत में बयान दिया था कि वह उनका बेटा है। अब क्या कर सकते थे। इस प्रकार वह चोर लोभी सेठ का भी बाप निकला। इसलिए कहते हैं-सब पापों का मूल लोभ है। सेठ जी सोचने लगे कि दान-पुण्य करता रहता तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता।
 


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Content Writer

Jyoti

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