Niti Gyan: आत्म समृद्धि का मार्ग है ''शिक्षा''

punjabkesari.in Sunday, Oct 24, 2021 - 01:09 PM (IST)

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महान गणितज्ञ यूक्लिड को थोड़ा भी अहंकार नहीं था। वह बेहद सरल स्वभाव के थे। उनका मानना था कि अपना ज्ञान दूसरों में हमेशा बांटते रहना चाहिए इसलिए जब भी कोई उनके पास किसी तरह की जानकारी लेने आता वह उत्साहपूर्वक उसे सब कुछ बताते। इससे उन्हें संतोष मिलता था।

इसलिए धीरे-धीरे उनसे गणित सीखने वालों की संख्या अच्छी-खासी हो गई थी। कई बार तो वह अपना निजी काम छोड़ कर भी दूसरों की जिज्ञासा शांत करते रहते थे।

एक दिन उनके पास एक लड़का आया और उसने उनसे रेखागणित पढ़ाने का आग्रह किया। यूक्लिड ने अपनी आदत के अनुसार यह प्रस्ताव सहज स्वीकार कर लिया। वह उसे उसी क्षण से रेखागणित पढ़ाने लगे।

लड़का काफी प्रतिभाशाली था। उसने बड़ी तेजी से सीखना आरम्भ कर दिया। इससे यूक्लिड काफी प्रसन्न थे। एक बार वह उसे एक थ्योरम पढ़ा रहे थे। लड़के ने सवाल कर दिया, ‘‘इसे पढऩे से मुझे क्या लाभ  होगा?’’
यह सुनते ही यूक्लिड नाराज हो गए और अपने नौकर से बोले इसे एक सिक्का दे दो क्योंकि यह विद्या हासिल करने में कम और धन कमाने में अधिक रुचि रखता है। इसके लिए किसी तरह की शिक्षा बेकार है। उनके मुंह से यह सुन कर न सिर्फ लड़का बल्कि दूसरे छात्र भी दंग रह गए। उसने यूक्लिड से क्षमा मांगी।

यूक्लिड ने कहा, ‘‘शिक्षा आत्म समृद्धि का मार्ग है। उसे कभी भौतिक लाभ के तराजू में नहीं तोलना चाहिए और वह जहां से जिस मात्रा से मिले उसे आत्मीयता से ग्रहण करना चाहिए।’’


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Content Writer

Jyoti

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