Inspirational Concept: बच गया ‘सेब’ का पेड़

punjabkesari.in Friday, Oct 22, 2021 - 06:27 PM (IST)

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एक किसान के पेड़ में सेब का एक पुराना पेड़ था। एक समय था जब उस पर बड़े-बड़े लाल, रसीले सेब लगते थे लेकिन अब वह बूढ़ा हो गया था। उस पर फल नहीं आते थे। हां, उसकी बड़ी-बड़ी मजबूत शाखाओं पर बहुत सारे पक्षियों के घौंसले जरूर थे।

साथ ही उसकी जड़ों के आस-पास की जमीन पर बहुत-सी चींटियों के घर थे। उसकी पत्तियों पर कितनी ही तितलियों के लारवा बड़े होकर सुंदर, रंग-बिरंगी तितलियों में बदल जाते थे। इन सब कीड़े-मकौड़ों और पक्षियों की दुनिया इस पेड़ पर ही बसी थी। किसान सोचता था कि यह पेड़ बेकार ही उसके खेत में खड़ा है। जमीन का वह टुकड़ा जिस पर पेड़ खड़ा था, किसी काम भी नहीं आ रहा था। उसे सबसे बढिय़ा उपाय यही दिखाई दिया कि सेब के पुराने पेड़ को काट कर उसकी लकड़ी को बेच दिया जाए। खेत में जगह भी बन जाएगी और कुछ पैसे भी मिल जाएंगे।

यह सोच कर किसान ने अपनी कुल्हाड़ी उठाई और सुबह-सुबह खेत की ओर चल दिया। सेब के पेड़ के पास पहुंच कर पहले उसने तय किया कि कहां से पेड़ को काटना शुरू किया जाए। फिर उसने अपनी कुल्हाड़ी उठाई और जोर से पेड़ के तने पर प्रहार किया। पेड़ पर रहने वाली चींटियां भी कांप गईं।

सभी तेजी से बाहर निकलीं और किसान के पास आकर विनती करने लगीं, ‘‘किसान भाई इस पेड़ को मत काटो, यह हमारा घर है।’’

चिडिय़ां बोली, ‘‘इस पेड़ की छाया में  हमारी दुनिया है। मत काटो इसे। हमारी प्रार्थना सुन लो भाई। ’’

कहते-कहते उनकी आंखों से आंसू आ गए।

लेकिन किसान पर कोई असर नहीं हुआ। वह और भी जोर से प्रहार करने लगा। वह दोपहर होने से पहले काम खत्म कर देना चाहता था।
पक्षी, तितलियां, चींटियां सब मिल कर अपने घरों को टूटता हुआ देख रहे थे। वे कुछ भी कर नहीं पा रहे थे। बस भगवान से प्रार्थना कर रहे थे और तभी किसान की नजर पेड़ के मोटे तने से निकली एक बड़ी-सी टहनी पर पड़ी।

उसने देखा कि वहां मधुमक्खियों का एक बड़ा-सा छता था। उसमें ढेर सारा शहद भरा हुआ था। किसान के मन में याल आया कि पेड़ की इतनी बड़ी टहनी के कारण ही मधुमक्खियों ने यहां घर बनाया है। यदि मैं पेड़ को न काटूं तो यहां मधुमक्खियां पाल सकता हूं। जो शहद निकलेगा उसे बेच कर पैसे भी मिलेंगे। बस उसने पेड़ को काटने का विचार छोड़ दिया।

वह बोला, ‘‘ठीक है पक्षियों, चींटियों और तितलियों, मैं इस पेड़ को नहीं काटूंगा। तुम्हारे घर भी नहीं टूटेंगे। जाओ आराम से रहो।’’
और वह अपनी कुल्हाड़ी उठा कर घर की ओर चल दिया।  —गीतिका गोयल


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Content Writer

Jyoti

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