इस प्ररेक प्रसंग से जानें कैसे लोग होते हैं असली ज्ञानी

punjabkesari.in Saturday, Aug 22, 2020 - 09:59 AM (IST)

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एक जिज्ञासु भक्त यूनान में एक संत के पास पहुंचा। उसने कहा, ‘‘महाराज मेरा कल्याण कैसे हो, कोई उपाय बताएं।’’
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संत ने कहा, ‘‘मैं तो भगवान का भजन करने वाला साधारण साधु हूं। सुकरात इस देश के सबसे बड़े ज्ञानी हैं। तुम उनके पास जाओ, वही तुम्हें उपाय बता सकते हैं।’’ वह व्यक्ति सुकरात के पास पहुंचा और बोला कि मुझे पता लगा है कि आप सबसे बड़े ज्ञानी हैं। अत: शरण में आया हूं। मेरे उद्धार का कोई उपाय बताएं। सुकरात ने उत्तर दिया, ‘‘भैया, मैं ज्ञानी नहीं हूं। जिन महात्मा ने तुम्हें मेरे पास भेजा है, असली ज्ञानी तो वही हैं।’’
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जिज्ञासु पुन: उन संत के पास पहुंचा। उन्होंने उसे फिर सुकरात के पास भेज दिया। सुकरात ने इस बार कहा, ‘‘भैया सबसे बड़ा ज्ञानी तो क्या, मैं तो साधारण ज्ञानी भी नहीं हूं। सच पूछो तो मैं अज्ञानी हूं। तुम पुन: उन साधु के पास जाओ तथा मैंने जो जवाब दिया है, उससे उन्हें अवगत कराओ।’’

इस बार साधु ने जिज्ञासु से कहा, ‘‘वत्स सुकरात जैसे महान व्यक्ति का यह कहना कि मैं अज्ञानी हूं, उनके सबसे बड़ा ज्ञानी होने का परिचायक है। ज्ञानी होने के बावजूद जिसे अहंकार नहीं छू पाया है, वही तो असली और सबसे बड़ा ज्ञानी होता है।’’   —शिव कुमार गोयल


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Jyoti

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