जहर से भी ज्यादा खतरनाक होती है जहरीली सोच

punjabkesari.in Sunday, Jun 07, 2020 - 02:27 PM (IST)

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मेरे विवाह के कुछ दिन बाद मेरी पत्नी ने चौका रसोई में पहली बार पैर रखा। उसके हाथों की पकी हुई पहली रोटी के पहले ग्रास में जो स्वाद आया वह शद्दों में बयान से बाहर है । वह पहली रोटी अमृत की तरह थी।

समय बीतता गया। धीरे-धीरे पहली रोटी में पाया वह अमृत गायब होता गया। कई बार तो तवा अभी पूरा गर्म भी नहीं होता था। उस पर पकी सबसे पहली रोटी अक्सर मुझे कच्ची और बरेस्वाद लगती। यहां तक कि कई बार तो मुझे जहर की तरह लगती।
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एक बार हौसला करके मैंने अपनी पत्नी को बोल ही दिया। यह तवे से उतरी पहली रोटी मुझे न दिया करो। वह बोली, "जब मैं आपको आवाज देती हूं कि आकर खाना खा लो, तब तो आप आते नहीं हैं। अपने कम्प्यूटर के आगे बैठे रहते हैं। आप चाहते हैं कि मैं सारे परिवार की रोटियां पका कर आखिर में उतरी गर्म रोटी खाने की बजाय सबसे पहली उतरी ठंडी रोटी खाया करूं।''

इस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं था। कुछ वर्ष और बीत गए। बच्चे को बच्चे बड़े हो गए। अभी तक तवे से उतरी पहली रोटी मुझे ही मिलती थी। बैशक मेरी बेटी या बेटा मुझसे पहले
रोटी खाना शुरू कर देते थे।

मेरे धैर्य का बांध तो एक दिन जैसे टूट ही गया। मैंने पत्नी को अपने पास बिठा कर कहा, "वह बात तो मान ली थी कि सब को खाना खिला कर रोटी खाती हो तो तुम्हारा हक बनता है कि तुम गर्म रोटी खाओ पर मुझे यह बताओ कि जब बच्चे मुझसे पहले रोटी खाते हैं तब भी तुम तवे से उतरी पहली कच्ची और बेस्वाद रोटी मेरे लिए ही रख छोड़ती हो। क्यों ?" 
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उसने बड़े ही प्यार से मेरी तरफ देखा। उसकी आंखों में एक अजीब सी श्रद्धा नजर आई। मेरा हाथ पकड़कर अपने हाथों में लेकर कहने लगी, "इस घर में जो चूल्हा है न, वह आपकी कमाई से चलता है । इसलिए इस चूल्हे से उतरी पहली रोटी पर सिर्फ और सिर्फ आपका ही हक है। आपके नाम पर बनने वाली पहली रोटी के सदका ही इस रसोई में बरकत है। इस वरसोई में बनने वाले खाने में अमृत है।''

यह सुन कर मैं हैरान हुआ। उसके चेहरे की ओर देखता रह गया। मैं सोचने पर मजबूर हो गया कि हम कितने कुतल्न हैं। हमारे आगे परोसे अमृत को भी हम जहर बना देते हैं । हमारी जिदगी के बीच बहुत सारे जहर हमारे अपने ही पैदा किए हुए हैं।

असल में जहर तो मनुष्य को एक ही बार मारता है पर जहरीली सोच हमें हर पल मारती है। हमारे घर की सुख-शांति को तबाह कर देती है। 

शिक्षा : अगली बार आपको आपके सजनों की ही बात जहर लगे तो एक बार ठंडे दिमाग से एक बार जरूर विचार करना। कहीं आप खुद ही तो अमृत को जहर तो नहीं बना रहे।
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उदय चंद्र लुदगा

 


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Jyoti

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