किसी भी तरह का हो तनाव ऐसे पा सकते हैं मुक्ति

punjabkesari.in Thursday, Jan 16, 2020 - 09:33 AM (IST)

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पूजा-पाठ, जप-तप, ध्यान और चिंतन की परिभाषाओं के परे जाकर जब हम धर्म को समझने की कोशिश करते हैं, तब हमारा परिचय धैर्य से होता है। धर्म के सभी कथानकों में धैर्य प्रमुख भूमिका में है, जिसे धारण करके नायक बारम्बार बुराई पर अच्छाई से विजय प्राप्त करता है लेकिन वर्तमान में धैर्य को लेकर हमारी समझ किताबी हो गई है। धैर्य के उदाहरण जैसे राम, कृष्ण, हरिश्चंद्र हमारे रोजमर्रा की ङ्क्षजदगी से बिल्कुल अलग हो गए हैं और धैर्य प्रवचन एवं उपदेशों में सीमित हो गया है। नतीजतन तनाव का पारा अनियंत्रित गति से बढ़ता जा रहा है। धैर्य का संतुलित एवं सीमित उपयोग न सिर्फ रोजमर्रा की जिंदगी के तनाव को कम करता है बल्कि इच्छाओं और लक्ष्यों की पूर्ति में भी सहायक सिद्ध होता है।
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जीवन में बढ़े हुए तनाव के लिए हम बड़ी शीघ्रता से भौतिक सुख-सुविधाओं के प्रति बढ़ते हुए मोहजाल पर दोषारोपण कर छुट्टी पा लेते हैं लेकिन ऐसा करते हुए हम एक बात भूल जाते हैं कि न तो हम इच्छाओं का मोह छोड़ सकते हैं और न ही आधुनिक जीवनशैली से मुंह मोड़ सकते हैं। समस्या यह है कि जैसे-जैसे हम विकसित हो रहे हैं, हमारा धैर्य कमजोर पड़ता जा रहा है। इच्छाएं अनंत हैं और उन्हें पूरा करने की आपाधापी में हम असुरक्षित हो रहे हैं। हमें लगता है कि अगर आज हमने अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए संघर्ष नहीं किया तो पता नहीं कल हमारे लिए कुछ बचेगा या नहीं।

जीवन के अराजकतापूर्ण वातावरण में शांति और सुख बहाल करने के लिए हमें धैर्य को प्रवचनों एवं उपदेशों के सीखचों से मुक्त कर उसे रोजमर्रा की जिंदगी के प्रयोगों में शामिल करने की आवश्यकता है।
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किसी बात को लेकर मन में रोष उपजता है तो कठोर शब्द कह कर अपना नुक्सान करने से अच्छा है थोड़ी देर के लिए उस परिस्थिति से बाहर चले जाना। इससे निर्णय क्षमता विकसित होगी और स्वयं धैर्य रूपी पूंजी आपके कब्जे में होगी। आधा तनाव तो प्रतिक्रिया से दूरी बनाने पर ही दूर हो जाएगा। आचरण में अगर आप धैर्य को धारण करते हैं तो नि:संदेह जीवन संतुलित और संयमपूर्ण होगा।


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Jyoti

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