MERRY CHRISTMAS  2020:  ये हैं भारत के सबसे रोमांचक व इतिहासिक चर्च, आप भी ज़रूर जाएं

punjabkesari.in Wednesday, Dec 25, 2019 - 10:29 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सेंटा क्लॉस बच्चों के साथ-साथ बड़ों के भी फेवरेट हैं। हर साल 25 दिसंबर को ईसा मसीह या यीशु के जन्मदिन यानि क्रिसमस के दिन हर कोई इनका इंतज़ार करता है। लगभग संपूर्ण विश्व में इस दि न छुट्टी होती है। बता दें दिन क्रिसमस के दिन से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है। बताया जाता है एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था। कुछ मान्यताओं की मानें तो 25 दिसंबर यीशु मसीह के जन्म की कोई ज्ञात वास्तविक जन्म तिथि नहीं हैं। कहा जाता है इस तिथि को एक रोमन पर्व या मकर संक्रांति (शीत अयनांत) से संबंध स्थापित करने के आधार पर चुना गया है। किस्रमस के दिन लोग चर्च में जाते हैं और जीजस के सामने प्रार्थना करते हैं। सभी ईसाई लोग क्रिसमस को मनाते हैं और आजकल कई गैर ईसाई लोग भी इसे एक धर्मनिरपेक्ष, सांस्कृतिक उत्सव के रूप मे मनाने लगे हैं। क्रिसमस के दौरान उपहारों का आदान प्रदान, सजावट का सामन और छुट्टी के दौरान मौज़मस्ती के कारण यह त्यौहार एक बड़ी आर्थिक गतिविधि बन गया है।

आज क्रिसमस के मौके पर हम आपको बताने वाले हैं भारत के ऐतिहासिक व रोमांचक चर्चों के बारे में जो न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी अधिक प्रसिद्ध है। तो आइए शुरू करते हैं इन चर्चों की सैर-

संत केथेड्रल चर्च
बताया जाता है गोवा में स्थित यह भारत के सबसे बड़े चर्चो में से एक है। ये केथेड्रल चर्च कैथरीन आफ़ अलेक्जेंड्रिया को समर्पित है। ये चर्च पुर्तगाली सेना द्वारा मुस्लिम सेना के ऊपर विजय के सम्‍मान में बनवाया गया था। कहा जाता है इस चर्च का निर्माण 1562 में शुरु हुआ था जो 1619 में संपन्न हुआ था।
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परुमाला चर्च
प्रचलित लोक कथाओं के अनुसार भारत के राज्य केरल में स्थित परुमाला चर्च महान संत ग्रिगोरिएस जीर्वाघीस की स्‍मृति में बनाया गया था। जिस कारण इसे परुमाला चर्च के नाम से भी जाना जाता है। ये चर्च केरल के मनार में स्थित है। यह मल्लंकरा रूढ़िवादी सीरियन चर्च का एक पारिश चर्च है। 1947 में ग्रिगोरियस को कैथोलिकोस आफ द चर्च ने संत की उपाधि दी थी।
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बेसिलिका ऑफ बोम जीसस
गोवा में स्थापित ये चर्च भी भारत के सबसे पुराने चर्चो में से एक माना जाता है, जिसे वर्ल्‍ड हैरिटेज साइट घोषित किया जा चुका है। कहा जाता है यह चर्च 300 साल से भी अधिक पुराना है। बता दें बोम जीसस का अर्थ है गॉड जीसस। इस चर्च में संत फ्रांसिस जेवियर का शरीर साल में एक बार चर्च के अनुयायियों के लिए रखा जाता है। जिस दौरान देश विदेश से हजारों की संख्‍या में लोग आते हैं।
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मलयतूर चर्च
केरल में स्थित मलयतूर चर्च से जुड़ी मान्यता के मुताबिक सेंट थॉमस दक्षिण भारत में ईसाई धर्म की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार करते थे। ये भी भारत के सबसे पुराने चर्चो में से एक है। पहाड़ की चोटी पर स्थित इस चर्च को संत थॉमसे ने बनवाया था, जिसे वेटिकन से भी जोड़ा जाता है।
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कदमट्टम चर्च
ऐसी मान्‍यता है कि इस चर्च को 9 वीं शताब्‍दी में बनाया गया था, जो मालंकरा जेकोबेट ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च का अभिन्‍न अंग है। इस चर्च का आर्कीटेक्‍चर इंडो-पर्शियन है। इस चर्च में पुराने फारसी क्रास के चिह्न हैं। यह चर्च प्रीस्‍ट कदमट्टुतु कत्तानार के नाम से पूरे विश्‍व में प्रसिद्ध है।
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Jyoti

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