इस विधि से देखा गया Mirror कुरूप लोगों को भी बना देता है सुंदर

punjabkesari.in Saturday, Jun 17, 2017 - 11:35 AM (IST)

दार्शनिक सुकरात देखने में सुंदर न थे, एक दिन वह दर्पण में चेहरा देख रहे थे कि उनका एक शिष्य मिलने आया, उसने कुरूप गुरु को शीशा देखते पाया तो वह मुस्कुरा पड़ा। सुकरात ने कहा, ‘‘तुम सोच रहे होगे कि आखिर मुझ सा कुरूप व्यक्ति शीशा क्यों देख रहा था।’’ 


शिष्य शर्मिंदा हो गया।  सुकरात ने पूछा, ‘‘क्या तुम जानना चाहोगे कि मैं शीशा क्यों देख रहा था?’’


‘‘अवश्य गुरुदेव।’’


‘‘मैं शीशा इसलिए देखता हूं कि मुझे सदैव यह ध्यान रहे कि मैं कुरूप हूं और अपनी इस कुरूपता को कम करने के लिए मैं अच्छे कार्य करूं, जिससे कोई मेरी कुरूपता पर ध्यान न दे।’’ 


सुकरात का जवाब सुन शिष्य गंभीरतापूर्वक विचार करके उत्सुकता से बोला, ‘‘तो क्या गुरुदेव जो लोग सुंदर हैं, उन्हें शीशा नहीं देखना चाहिए?’’


सुकरात ने हंस कर उत्तर दिया, ‘‘जो लोग सुंदर हैं, उन्हें भी जरूर शीशा देखना चाहिए, ताकि उन्हें सदैव यह ध्यान रहे कि वे सुंदर हैं और अपनी इस सुंदरता को बनाए रखने के लिए वे कर्म भी सुंदर करें। अगर बुरे कर्म करेंगे तो उससे उनकी सुंदरता पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और वे सुंदर होते हुए भी कुरूप दिखाई देंगे।  


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