कार्तिक अमावस्या जैसी पुण्यदायी मानी गई मार्गशीर्ष अमावस्या, जानें तिथि, स्नान मुहूर्त व विधि

punjabkesari.in Saturday, Nov 19, 2022 - 02:18 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
मार्गशीर्ष मास का चल रहा है, हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये मास श्री कृष्ण को समर्पित है। जिस कारण इस में मुख्य रूप से श्री कृष्ण की पूजा करने का विधान है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस मास की वैसे तो तमाम तिथियों ही महत्पूर्ण होती हैं पर इनमें से कुछ तिथियां अधिक विशेष कहलाती हैं। कहा जाता है कि इस माह की इन विशेष तिथियों पर व्रत व पूजा करने से मानव को कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। इन्हीं खास तिथियों में से एक है मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि। कहा जाता है मार्गशीर्ष अमावस्या को कार्तिक अमावस्या जैसे ही फलदायक मानी गई है। इस तिथि को स्नान, दान, तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है और श्राद्ध कर्म करने से उनके लिए मोक्ष के द्वार खुलते हैं। तो आइए जानते हैं 2022 में मार्गशीर्ष अमावस्या कब है। साथ ही जानेंगे इसकी पूजन विधि से जुड़ी खास जानकारी- 
PunjabKesari
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि का आरंभ सुबह 06 बजकर 53 मिनट पर होगा और अगले दिन प्रातःकाल 04 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में मार्गशीर्ष अमावस्या 23 नवंबर, दिन बुधवार को मनाई जाएगी। वहीं इस दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 56 मिनट से सुबह 08 बजकर 01 मिनट तक रहेगा। 

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें
PunjabKesari
धर्म शास्त्रों के अनुसार श्रीकृष्ण ने खुद को मार्गशीर्ष माह बताया है। पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए मार्गशीर्ष अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। जो लोग अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति, सद्गति के लिए कुछ करना चाहते है उन्हें इस माह की अमावस्या को व्रत रखकर, श्राद्ध कर्म अवश्य करना चाहिए। मान्यता है इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के जीवन में खुशहाली के साथ-साथ सुख-समृद्धि का वास भी होता है। बताते चलें कि पितृदोष से छुटकारा पाने के लिए इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, धन का दान करें। इससे पितृ अति प्रसन्न होते हैं।
PunjabKesari
मार्गशीर्ष अमावस्या पूजन विधि-
इस दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें और फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इसके बाद मंत्रों का जाप करते हुए जल में काले तिल मिलाकर उसे नदी में प्रवाहित करें। फिर भगवान विष्णु के साथ साथ भगवान कृष्ण जी की भी पूजा करें। फिर इसके बाद अपने पितरों और कुल देवी-देवताओं का स्मरण करते हुए पितरों का तर्पण करके मोक्ष की कामना करें और पितरों के नाम का कुछ अनाज दान करें या फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं। मान्यता के अनुसार इस दिन पितरों के तर्पण के अलावा भगवान सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिए और उनका पाठ भी करना चाहिए। विधि-विधान से पूजा करने के बाद हलवे का भोग लगाना चाहिए और प्रसाद को लोगों में बांटना चाहिए। ऐसा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
PunjabKesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Recommended News

Related News