Mahashivratri 2021: यहां विराजमान हैं हठी अचलेश्वर महादेव, ये हैं मंदिर से जुड़ा रहस्य

punjabkesari.in Thursday, Mar 11, 2021 - 01:15 PM (IST)

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मध्य प्रदेश में ग्वाललयर जिले में कई प्रलिद्ध देवस्थान हैं और लशवमंददर भी सभी की अपनी महत्ता और प्रतिष्ठा है किंतु ग्वाललयर में विराजे श्री अचलेश्वर महादेव मंददर का कुछ विशेष ही महत्व है। इस मंदिर की चर्चा पूरे क्षेत्र में होती है। यहां भक्तों का तांता लगा रहता है, भोलेनाथ की कृपा सब पर समान रूप से बरसती हैै। 

इस मंदिर में विराजमान अचलेश्वर महादेव को लेकर कहा जाता है- अचलेश्वर नाम है जिनका, ऋषि गालब की भूमि पर धाम है जिनका, सब की मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाले, अपने भक्तों की मुरादें पूरी करने वाले भोलेनाथ भी कभी-कभी हठ कर जाते हैं। जिनके हठ का जीता-जागता साक्ष्य है ग्वालियर का ये मंदिर। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है अतिप्राचीन इस अचलेश्वर मंदिर में पूरे विधि विधान से इनकी पूजा की जाती है। 

यहां आने वाले भक्तों की मानें तो भोले शंकर यहां अपने हठ के कारण ही बीच सड़क पर विराजमान हैं। जिन्हें बीच सड़क से हटाने के लिए कई बार प्रयत्न किए गए हैं लेकिन महादेव टस से मस न हुए। और अपने हठ के चलते यहीं अड़िंग व अचल रहे।

आखिर में भक्तों ने महादेव की मंशा भांपकर उनका मंददर बीच सड़क पर ही स्थापित कर दिया। मंदिर के नाम की बात करें तो इस मंदिर का नामकरण सिंधिया के रियासल के शािकों ने किया था। ऐसा कहा जाता है कि सिंधिया महाराज को स्वप्न आया और एक छोटी मढ़िा के रूप में यहां उनका पवित्र स्थान सुनिश्चित कराया। 

दूर-दूर से लोग इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं। बल्कि कहा जाता है कि कुछ भक्त को 2-3 दशकों से यहां भोलेनाथ का दरबार में हाजिरी लगाते आ रहे हैं, और बाबा अचलनाथ की सेवा में अपना योगदान देते हैं। 

लोक मान्यताओं के अनुसार एक बार तत्कालीन शासकों का काकिला इस मार्ग से मागा गुजर रहा था। जब उन्हें यहां बीच सड़क पर महादेव की पिंडी देखी तो उन्होंने आदेश दिया कि इसे बीच रास्ते से हटाया जाए ताकि काकिला आगे बढ़ सके। 

जिसके बाद राजा की सेना ने अपना पूरा जोर लगा दिया, हाथियों से जंजीर को बांधकर शिवलिंग को खिंचवाने की कोशिश की लेकिन शिवलिंग को हिला भी नहीं सकी। ऐसा कहा जाता है इसी दिन से इनका नाम अचलेश्वर मंदिर पड़ गया। साथ ही साथ तब से ही ये पवित्र स्थान शिवभक्तों की आस्था का केंद्र बन गया। 

बताया जाता है कि इस मंदिर में लगा क्विंटल का घंटा अचलेश्वर महादेव मंदिर की महिमा का बखान करता है। ये घंटा मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थित है। बताया जाता है मंदिर पर लगभग 170 ग्राम वजन का सोने का मुकुट एक महिला ने गुप्त तरीके से दान किया था। इस मुकुट के ऊपरी हिस्से में भगवान महादेव की प्रतिमा इस छत्र पर उकेरी गई है, जबकि उसके चारों ओर बाहरी हिस्से में 12 ज्योर्तिलिंग के दर्शन किए जा सकते हैं। 

पंजाब केसरी के रिपोर्टर अंकुर जैन की रिपोर्ट के अनुसार शिवलिंग के चारों तरफ़ स्टील के पाइप से ढाई फीट की रेलिंग तैयार कर बाबा को सुरक्षा प्रदान की गई है। पहले शिवलिंग के चारों तरफ़ सिर्फ चांदी की ही दीवार बनी हुई थी। इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है ताकि भक्ति दर्शन लाभ लेकर अपना जीवन धन्य कर सकें। यहां शिव की शक्ति और भक्ति दोनों के दर्शन करने से हर मुराद पूरी होती हैं। 
 


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Content Writer

Jyoti

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