Mahashivratri 2020: ये वस्तुएं हैं भगवान शिव को अति प्रिय

punjabkesari.in Friday, Feb 21, 2020 - 03:40 PM (IST)

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हिंदू पंचांग के अनुसार आज महाशिवरात्रि का पर्व बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाया जा रहा है। भोलेनाथ के भक्त जानते हैं कि भगवान शिव तुरंत और तत्काल प्रसन्न होने वाले देवता हैं। वैसे तो भोलेबाबा एक लोटा जल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन उनकी पूजा में कुछ चीज़ें ऐसी हैं, जिनका प्रयोग करने से व्यक्ति को उनकी भरपूर कृपा मिलती है। आज हम आपको उन्हीं चीज़ों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका प्रयोग करके आप भी उनकी कृपा को पा सकते हैं।  
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जल : शिव पुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ही स्वयं जल हैं शिव पर जल चढ़ाने का महत्व भी समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा है। अग्नि के समान विष पीने के बाद शिव का कंठ एकदम नीला पड़ गया था। विष की ऊष्णता को शांत करके शिव को शीतलता प्रदान करने के लिए समस्त देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया इसलिए शिव पूजा में जल का विशेष महत्व है।
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बिल्वपत्र : भगवान के तीन नेत्रों का प्रतीक है बिल्वपत्र। अत: तीन पत्तियों वाला बिल्वपत्र शिव जी को अत्यंत प्रिय है। प्रभु आशुतोष के पूजन में अभिषेक व बिल्वपत्र का प्रथम स्थान है। ऋषियों ने कहा है कि बिल्वपत्र भोले-भंडारी को चढ़ाना एवं 1 करोड़ कन्याओं के कन्यादान का फल एक समान है।
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धतूरा : भगवान शिव को धतूरा भी अत्यंत प्रिय है। इसके पीछे पुराणों मे जहां धार्मिक कारण बताया गया है वहीं इसका वैज्ञानिक आधार भी है। भगवान शिव को कैलाश पर्वत पर रहते हैं।
यह अत्यंत ठंडा क्षेत्र है जहां ऐसे आहार और औषधि की जरुरत होती है जो शरीर को ऊष्मा प्रदान करे। 
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भांग : शिव हमेशा ध्यानमग्न रहते हैं। भांग ध्यान केंद्रित करने में मददगार होती है। इससे वे हमेशा परमानंद में रहते हैं। समुद्र मंथन में निकले विष का सेवन महादेव ने संसार की सुरक्षा के लिए अपने गले में उतार लिया।

कपूर : भगवान शिव का प्रिय मंत्र है कपूरगौरं करूणावतारं, यानि जो कपूर के समान उज्जवल है। इसकी सुगंध वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाती है। भगवान भोलेनाथ को इस महक से प्यार है अत: कर्पूर शिव पूजन में अनिवार्य है।

चावल : चावल को अक्षत भी कहा जाता है और अक्षत का अर्थ होता है जो टूटा न हो। इसका रंग सफेद होता है। पूजन में अक्षत का उपयोग अनिवार्य है। किसी भी पूजन के समय गुलाल, हल्दी, अबीर और कुंकुम अर्पित करने के बाद अक्षत चढ़ाए जाते हैं। अक्षत न हो तो शिव पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। 
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चंदन : चंदन का संबंध शीतलता से है। भगवान शिव मस्तक पर चंदन का त्रिपुंड लगाते हैं। चंदन का प्रयोग अक्सर हवन में किया जाता है और इसकी खुशबू से वातावरण और खिल जाता है। यदि शिव जी को चंदन चढ़ाया जाए तो इससे समाज में मान सम्मान यश बढ़ता है।


 


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