Haridwar Kumbh Mela 2021: महाफल देगा इस बार का कुंभ स्नान !
punjabkesari.in Monday, Apr 05, 2021 - 08:29 AM (IST)
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Haridwar Maha Kumbh 2021: हिन्दू धर्म के अनुसार इंद्र के बेटे जयंत के घड़े से अमृत की बूंदें चार जगहों पर गिरीं। हरिद्वार में गंगा नदी, उज्जैन में क्षिप्रा नदी, नासिक में गोदावरी और प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम स्थान पर। धार्मिक मान्यता के अनुसार कुंभ में श्रद्धापूर्वक स्नान करने वाले लोगों के सभी पाप कट जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कुंभ आयोजन के स्थान
कुंभ मेला और ग्रहों का आपस में गहरा संबंध है। दरअसल, कुंभ मेला तभी आयोजित होता है जबकि ग्रहों की वैसी ही स्थिति निर्मित हो रही हो जैसे अमृत छलकने पर हुई थी। मान्यता है कि बूंदें गिरने के दौरान अमृत और अमृत कलश की रक्षा करने में सूर्य, चंद्र, बृहस्पति और शनि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चंद्र ने कलश की प्रश्रवण होने से, गुरु ने अपहरण होने और शनि ने देवेंद्र के भय से रक्षा की, सूर्य ने अमृत कलश को फूटने से बचाया। इसलिए पौराणिकों व ज्योतिषियों के अनुसार जिस वर्ष जिस राशि में सूर्य, चंद्र और बृहस्पति या शनि का संयोग होता है उसी वर्ष उसी राशि के योग में जहां-जहां अमृत की बूंदें गिरी थीं वहां कुंभ पर्व आयोजित होता है।
आयोजन 12 वर्ष बाद क्यों
मान्यता है कि अमृत कलश की प्राप्ति के लिए देवताओं और राक्षसों में 12 दिन तक निरंतर युद्ध चला था। हिन्दू पंचांग के अनुसार देवताओं के 12 दिन अर्थात मनुष्य के 12 वर्ष माने गए हैं इसलिए कुंभ का आयोजन प्रत्येक 12 वर्ष में होता है। अद्र्ध कुंभ मेला प्रत्येक 6 वर्ष में हरिद्वार तथा प्रयागराज में लगता है जबकि पूर्ण कुंभ बारह वर्ष बाद प्रयागराज में ही लगता है और बारह महाकुंभ मेलों के बाद 144 वर्ष बाद महाकुंभ मेला भी प्रयागराज में ही लगता है।
तिथियों से बढ़ गया महत्व
इस बार हरिद्वार में कुंभ का आयोजन उस समय हो रहा है जबकि मकर संक्रांति का योग भी बन गया है साथ ही दूसरे दिन सूर्य ग्रहण है। इसके अलावा भी कई और महत्वपूर्ण दिनों में स्नान करने की तिथि है। इस सदी के कारण इस बार का कुंभ स्नान महाफल देने वाला माना जा रहा है।