प्यार और खुशी की राह में भटक रहे लोग ऐसे पाएं मंजिल

punjabkesari.in Thursday, Jul 09, 2020 - 11:18 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

love and happiness: एक समय की बात है। एक सागर था जहां प्रसन्नचित जलजीव रहते थे। वह एक साधारण सागर नहीं, बल्कि प्रेम का सागर था। यही जीवों के प्रसन्न रहने का कारण था। वे हमेशा प्यार से भरे रहते थे। एक दिन एक जलजीव समुद्र के किनारे पहुंच गया। उसने लहरों से खेलने की सोची। वह लुढ़कते-लुढ़कते सागर के बीच में एक द्वीप पर पहुंच गया। उसने देखा कि वहां एक लड़की रेत पर बैठी है। वह न तो सुंदर सागर को निहारती मालूम पड़ती थी और न ही वह नीले आकाश को देख रही थी। वह नीचे ही देखे जा रही थी। वह बहुत खुश नहीं लगती थी। जलजीव को यह देखकर अचरज हुआ कि इतने खुशनुमा मौसम वाले दिन वह उदास क्यों है ? जलजीव ने उसका अभिवादन किया, ‘‘हैलो, लड़की क्या बात है ? तुम अप्रसन्न दिखाई देती हो। मैंने सदा यही सुना है कि लड़के और लड़कियां लगातार मुस्कुराते रहते हैं।’’

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लड़की ने लगभग हिचकिचाहट से उत्तर दिया, ‘‘नहीं, बहुत से लोग दुखी रहते हैं।’’

वह जलजीव को निहारी और बोली,  ‘‘मुझे इतने प्रसन्न जलजीव को देखकर अचरज होता है। मैंने इतना प्रसन्न चेहरा पहले कभी नहीं देखा। तुम इतने खुश कैसे रहते हो?’’

जलजीव ने उत्तर दिया,  ‘‘यह तो बहुत ही सरल है।  मैं इतना प्रसन्न इसीलिए हूं क्योंकि मैं प्यार के सागर में रहता हूं। मेरे जैसे जलजीव लगातार प्यार लेते रहते हैं। हम यह प्यार दूसरों को बांटते हैं। अगर कोई जलजीव भटक जाता है और प्यार लेना भूल जाता है तो कोई न कोई दुर्घटना हो जाती है। तभी कुछ जलजीव दुखी होते हैं या गुस्सा आता है।’’

लड़की सीधी बैठ गई और आश्चर्य से पूछने लगी, ‘‘तब तुम क्या करते हो?’’

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जलजीव ने उत्तर दिया, ‘‘तब दूसरे जलजीव उस दुखी या नाराज जलजीव के पास जाते हैं। हम प्यार से अपने आपको भर लेते हैं और उस दुखी या नाराज जलजीव को प्यार देते हैं। यह बहुत आसान काम है।’’

लड़की ने कहा, ‘‘जलजीव! तुम मेरे मित्र हो। मैं सोचती हूं कि मैं भी तुम्हारी तरह हो जाऊं। क्या तुम्हारे विचार में यह संभव है कि लड़के और लड़कियां भी मन में प्यार भर लें और तुम्हारी ही तरह खुश हो जाएं।’’

जलजीव ने उत्तर दिया, ‘‘बेशक।’’ परन्तु लड़की बोली, ‘‘पर मैं तो जलजीव हूं नहीं। मैं लड़की हूं। मैं ऐसा कैसे कर सकती हूं?’’

जलजीव ने कहा, ‘‘इससे क्या होता है। बस, तुम्हें प्यार में विश्वास करना है। तुम अपने को एक जलजीव मान लो तो तुम अपने आपको प्यार से भर सकती हो और यह प्यार दूसरों को भी दे सकती हो।’’

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लड़की खुशी से बोल पड़ी, ‘‘यह तो बहुत अच्छी बात है। मैं इसका अभ्यास करूंगी।’’

उसने गहरी श्वास ली और अपने मन में प्यार भरने का अभ्यास करने लगी। वह मुस्कुराई और बोली, ‘‘यह सच है कि मैं पहले से अब अधिक खुशी का अनुभव कर रही हूं।’’

जलजीव बोला, ‘‘तुमने देखा, यह कितना आसान है। जहां तक प्रेम का सवाल है, हम सभी समान हैं।’’

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Niyati Bhandari

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