Vasant Panchami 2020: वसंत ऋतु के रूप में प्रकट होते हैं भगवान कृष्ण

punjabkesari.in Wednesday, Jan 29, 2020 - 02:26 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जिन लोगों को अब तक बसंत पंचमी से जुड़ी जानकारी नहीं थी। अगर वो हमारी वेेबसाइट फॉलो करते हैं उन्हें इससे जुड़ी अधिकतर जावकारी प्राप्त हो चुकी होगी। जैसे इस त्यौहार को मनाए जाने का मुख्य कारण क्या तथा इस महापर्व का हिंदू धर्म की किस देवी से संबंधित है। अगर नहीं तो यहां क्लिक करके जानें बसंत पंचमी से जुड़ी हर जानकारी। इसी कड़ी में हम आपके लिए लाएं इससे जुड़े अधिक जानकारी जिसमें हम आपको बताएंगे बसंत पंचमी के दिन पूजी जाने वाली मां सरस्वती के बारे में। जिनके बारे में शास्त्रों में उल्लेख किया गया है। प्रत्येक वर्ष माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला वसंत पंचमी का त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है। शास्त्रों में देवी सरस्वती के इस प्राकट्य पर्व को सर्वसिद्धि दायक पर्व कहा जाता है। इस बार यानि 2020 में कुछ जगहों पर 29 जनवरी 2020 तो कुछ में 30 को मनाई जा रही है। ऐसा कहा जाता है माघ माह में जब सूर्य देवता उत्तरायण रहते हैं ऐसे में गुप्त नवरात्रि के मध्य पंचमी तिथि को लोक प्रसिद्ध स्वयंसिद्ध मुहूर्त के रूप में माना जाता है। 
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शास्त्रों में इस दिन को शुभ कार्यों के लिए अतिश्रेष्ठ माना जाता है। अगर ऐताहासिक ग्रंथों की बात करें तो प्रकृति के चितेरों, साहित्य मनीषियों और कवियों ने इस दिन को अपने-अपने नजरिए से परिभाषित किया है। इन्हीं मान्यताओं के आधार पर कहा जाता माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। कुछ जगहों पर इस तिथि को वागीश्वरी जयंती और श्रीपंचमी नाम से भी जाना जाता है।
धार्मिक शास्त्रों में कहा गया है कि अगर यौवन हमारे जीवन का वसंत है तो वसंत इस सृष्टि का यौवन है। तो वहीं गीता में उल्लेख के अनुसार वसंत ऋतु के रूप में भगवान कृष्ण प्रत्यक्ष रूप से प्रकट होते हैं। 
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तो वहीं तंत्र शास्त्रों के मुताबिक वसंत पंचमी को किए आकर्षण और वशीकरण के प्रयोग बहुत ही प्रभावी साबित होते हैं। ज्योतिषीय दृष्टि से पांचवीं राशि के अधिष्ठात्र भगवान सूर्य नारायण हैं इसलिए कहा जाता है वसंत पंचमी अज्ञान का नाश करके प्रकाश की ओर ले जाती है। अगर कोई व्यक्ति इस दिन शादी आदि जैसा कार्य रखता है तो क्योंकि इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है इसलिए इस दिन शादी-विवाह के लिए किसी भी तरह के शुभ मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती।साथ ही साथ गृह प्रवेश, पद भार, विद्यारंभ, वाहन, भवन खरीदना आदि कार्य करने भी अति शुभ और विशिष्ट माने जाते हैं। इसके अलावा वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का विशेष पूजन करने से बल-बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 
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ज्योतिष आचार्यों का मानना है कि हमारी सारस्वत शक्तियों के पुनर्जागरण के लिए इस पर्व का विशेष महत्व है। संपूर्ण सृष्टि का संयोग इसी दिन से प्रारंभ होता है। इसलिए इस दिन देवी सरस्वती और भगवान कृष्ण के साथ कामदेव व रति की पूजा की भी परंपरा है। 


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Jyoti

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