जानिए, क्या आपकी कुंडली में है खिलाड़ी बनने के योग?

punjabkesari.in Sunday, Sep 22, 2019 - 03:30 PM (IST)

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कुंडली के भावों एवं ग्रहों की विशिष्ट स्थितियां व्यक्ति में खेलों के प्रति रुचि तथा आवश्यक क्षमता उत्पन्न करती हैं। यदि बचपन में ही किसी जातक में उसके सफल खिलाड़ी बनने की क्षमताओं का सही आकलन कर लिया जाए तो उसे प्रारंभ से ही उचित प्रशिक्षण देकर एक सफल व उच्च कोटि का खिलाड़ी बनाया जा सकता है।
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लग्न एवं लग्नेश
लग्न व्यक्तित्व का आईना होता है। कुंडली में लग्न एवं लग्नेश की सुदृढ़ स्थिति व्यक्ति के शारीरिक, स्वास्थ्य को प्रदर्शित करती है। अत: कुंडली में लग्न एवं लग्नेश का शुभ प्रभाव में होना, शुभ ग्रहों की दृष्टि में होना एवं अन्य प्रकार से बली होना एक अच्छे खिलाड़ी के लिए आवश्यक है।

तृतीय भाव
कुंडली का तीसरा भाव पराक्रम एवं पुरुषार्थ का भाव है। एक खिलाड़ी में पराक्रम एवं पुरुषार्थ की प्रचुरता तो होनी ही चाहिए। खेल के मैदान में अपने पराक्रम से ही विरोधी पर जीत हासिल की जा सकती है। अत: पराक्रम भाव का स्वामी भी जन्म कुंडली में बलवान एवं एक अच्छी स्थिति में होना चाहिए।

पंचम भाव
जन्म कुंडली में पांचवां भाव खेल का होता है। शास्त्रों के अनुसार यह विद्या और बुद्धि का स्थान है परंतु जब खेल का विचार करते हैं तो कुंडली का यह स्थान जातक में खेल प्रतिभा एवं खेल दक्षता का प्रतिनिधित्व करता है। अत: पंचम भाव पर शुभ प्रभाव तथा कुंडली में पंचमेश की शुभ एवं बलवान स्थिति तथा इसका अन्य संबंधित भावों एवं ग्रहों से संबंध व्यक्ति में प्रचुर मात्रा में स्वाभाविक खेल प्रतिभा एवं खेल संबंधी मामलों में दक्षता पैदा करता है।
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षष्ठम भाव  
जन्म कुंडली का षष्ठम भाव विरोध पक्ष, प्रतियोगिता, संघर्ष आदि का स्थान है। अत: खेल प्रतिस्पर्धाओं की संघर्षपूर्ण स्थिति में विरोधी पक्ष पर हावी होकर खेल के मैदान में विजय पताका फहराने में षष्ठम भाव एवं षष्ठेश की कुंडली में उपर्युक्त स्थिति तथा खेल से संबंधित भावों, भाव स्वामियों, ग्रहों से समुचित संबंध खेल प्रतियोगिताओं में विरोधी पक्ष का दमन कर विजयश्री का वरण कराता है।

नवम भाव, दशम भाव एवं एकादश भाव  
कुंडली का नवम भाव भाग्य भाव के रूप में जाना जाता है तथा इससे ऐश्वर्य प्राप्ति एवं हर तरह की सफलता भी देखी जाती है। दशम भाव कर्म एवं ख्याति तथा एकादश भाव सभी तरह की उपलब्धियों एवं लाभ के स्थान है। अत: कुंडली में इन भावों एवं भाव स्वामियों का बलवान होकर खेल के कारक भावों एवं भावेशों तथा ग्रहों से संबद्ध खेल के माध्यम से सफलता, ख्याति, उपलब्धि एवं लाभ दिलाता है।

मंगल
एक अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए जन्म कुंडली में मंगल बलवान स्थिति आवश्यक है। कुंडली में मेष, वृश्चिक या मकर राशिस्थ या नवांश से स्वगृही या वर्गोत्तम मंगल अच्छा स्वास्थ्य, स्वभाव में आक्रामकता एवं अत्यंत विषम परिस्थिति में भी संघर्ष कर जीत हासिल करने की इच्छा पैदा करता है। बली मंगल का पंचम, षष्ठ, नवम, दशम एवं लग्न भावों से संबंध के मामलों में उत्कृष्टता प्रदान करता है।
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आजकल कई आधुनिक ज्योतिषी शुक्र को ही खेल का कारक मानते हैं विशेष रूप से क्रिकेट का जहां अपार सम्मान, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य एवं वैभव का खजाना है। —पं. कमल राधाकृष्ण श्रीमाली


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Jyoti

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