कौन हैं त्रिस्रोता माता, जानते हैं आप?

punjabkesari.in Saturday, May 30, 2020 - 12:56 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको बता चुके हैं कि 01 जून को गंगा दशहरा व 02 जून को निर्जला एकादशी का पर्व मनाया जाएगा। इसी के साथ हम आपको इस बारे में भी जानकारी दे चुके हैं हो सकता है इस बार कोरोना के कारण गंगा तटों पर गंगा मैय्या का दर्शन कर पाना और पावन नदी में डुबकी लगा पाना इस बार संभव न हो। परंतु आप घर बैठे कैसे मां गंगा को प्रसन्न कर सकते हैं इस कड़ी में तमाम तरह की जानकारी आप तक पहुंचा रहे हैं। इसी बीच पर आज हम आपके साथ सांझा करेंगे कि गंगा दशहरा से जुड़ी कथा, जिस के द्वारा आप जान सकेंगे गंगा मैय्या को त्रिस्रोता के नाम से क्यों जाना जाता है। चलिए देर न करते हुए जानते हैं कि इस से जुड़ी पौराणिक कथा-
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हिंदू धर्म के तमाम शास्त्रों व ग्रंथों में सभी देवी-देवताओं से जुड़े रहस्य आदि वर्णित हैं। मां गंगा के बार में पद्मपुराण में उल्लेख मिलता है। इसमें उल्लेख की मानें तो आदिकाल में ब्रह्माजी ने पराप्रकृति धर्मद्रवा को समस्त धर्म में प्रतिष्ठित जानकर अपने कमंडल में धारण कर लिया था।

कथाओं के अनुसार राजा बलि द्वारा करवाए गए यज्ञ के समय वामन अवतार में श्री हरि विष्णु जी ने अपने एक पग से आकाश एवं ब्रह्मांड को भेदकर ब्रह्मा जी के समक्ष स्थित कर दिया तो ब्रह्माजी ने अपने कमण्डल के जल से श्री विष्णु जी के चरणों की पूजन की। ऐसा कहा जाता है कि चरण धोते समय श्री विष्णु का चरणोदक हेमकूट पर्वत पर गिरा।PunjabKesari, Vaman Avatar, वामन अवतार, Sri Hari, Lord Vishnu
जो जल रूपी चरणोदक उस पर्वत से होते हुए भगवान शिव की जटाओं में समा गया। जिसके बाद गंगा बहुत काल तक शिव जी की जटाओं में भ्रमण करती रहीं। जिसके बाद सूर्यवंशी राजा भगीरथ ने अपने पूर्वज सगर के 60,000 पुत्रों का उद्धार करने के लिए भोलेनाथ की घोर तपस्या की, उनकी इसे तप से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने मां गंगा को पृथ्वी पर उतार दिया था। ऐसा कहा बताया जाता है उस समय गंगा जी तीन धाराओं में प्रकट होकर तीनों लोकों में चली गई तथा संसार में त्रिस्रोता के नाम से विख्यात हो गईं।

 


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Jyoti

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