ऐसे की थी शिव जी ने रामेश्वर धाम की व्याख्या, जानकर आत्म विभोर हो उठेंगे आप

punjabkesari.in Sunday, Apr 12, 2020 - 06:35 PM (IST)

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अगर बात करें हिंदू धर्म के प्रमुख स्थलों की उस सूची में सबसे ज्यादा नाम शिव जी के मंदिरों का नाम आता है। मगर क्या आप जानते हैं इनमें से एक ऐसा मंदिर है जिसके आज भी कुछ लोग श्री राम को समर्पित समझते हैं तो कुछ भगवान शंकर का। जी हां, ये मंदिर भारत में ही स्थित है। आप में से बहुत लोग हैं जिन्हें इन मंदिरों के बारे में पता होगा। दरअसल हम बात करे रहे हैं तमिलनाडु के रामेश्वरम धाम की। जिसे हिंदू धर्म के पावन तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। इतना ही नहीं बल्कि कहा जाता है हिंदू धर्म के चार धाम ( बद्रीनाथ, जगन्नाथपुरी, द्वारका में एक रामेश्वरम है। जिसकी यात्रा करने से मानव जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती है। तो वहीं इसके पास अरब सागर में स्थित करना का अपना अलग महत्व है। तो वहीं इसे शिव जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से भी एक माना जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार इस धार्मिक स्थल को रामनाथ स्वामी मंदिर और रामेश्वम द्धीप आदि के नाम से भी जाना जाता है।
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आइए जानते हैं, इस मंदिर से जुड़े दिलचस्प व अनसुने तथ्य-

रामेश्वर मंदिर की जानकारी-
रामेश्वरम मंदिर को लेकर व इसकी स्थापना से जुड़ी कई मान्यताएं समाज में प्रचलित है। जिसमें से एक के अनुसार लंका जाने से पहले श्री राम ने अपने आराध्य शिव जी की मिट्टी का शिवलिंग बना उसकी विधिवत पूजा-अर्चना की थी। अब ये बात सब जानते हैं। पर क्या आप जानते हैं इस दौरान भोलेनाथ और श्री राम में, मन ही मन एक ऐसा संवाद हुआ था कि अगर आप भी इसे सुनेंगे तो यकीनन आपका मन भी आत्म विभोर हो उठेगा। जी हां, पौराणिक कथाओं के अनुसार राम सेतु पुल का उद्धाटन करने से पहले श्री राम ने जब रामेश्वरम का अर्थ बताया तो उन्होंने कहा कि रामेश्वरम का मतलब जो राम के ईश्वर है।
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और जो व्यक्ति भोलेनाथ की भक्ति के विमुख हो मेरी आराधना करेगा उसे उस पूजा का फल नहीं मिलेगा। यही कारण है इसे रामेश्वरम कहा जाएगा। परंतु जब कैलाश पर बैठे शिव जी ने सुना तो वो हंसमुख अंदाज़ से अपने प्रभु श्री राम को चतुर बताने लगे। जब इस पर देवी पार्वती ने पूछा कैसे तो उन्होंने कहा कि मेरे प्रभु बहुत चतुर है। सब को अपनी बातों में ले आते हैं। असल में इसका अर्थ है राम, जो स्वयं ईश्वर है। अपने ईष्ट की ये बाते सुनकर श्री राम मन ही मन मुस्कुरा रहे थे। भोलेनाथ और श्री राम इस प्रेम को और मन में हो रहे वाद-विवाद को देखकर देवी पार्वती ने उन दोनों को नमन किया और कहा कि आप दोनों का प्रेम मैं तो क्या संसार में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं समझ सकता है।


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Jyoti

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