हिंदू धर्म के ये 2 प्रमुख त्यौहार बताते हैं पानी का महत्व, क्या आप जानते हैं
punjabkesari.in Friday, May 29, 2020 - 04:05 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष के हर माह में लगभग हिंदू धर्म से जुड़ा कोई न कोई मुख्य त्यौहार मनाया जाता है। इन्हीं में से एक ज्येष्ठ मास, जिसमें तमाम तरह के प्रमुख त्यौहार मनाए जाते हैं। इन पर्वो में से एक है गंगा दशहरा तथा निर्जला एकादशी का व्रत। कहा जाता है हर पर्व त्यौहार का महत्व किसी न किसी तरह की सीख देता है। हिंदू धर्म के ये प्रमुख व्रत मानव जीवन को पानी का महत्व समझाते हैं। जानना चाहते हैं कैसे, तो बता दें इसके लिए आपको कहीं भी रिसर्च करने की कोई आवश्यकाता नहीं है। जी हां, आपको इससे जुड़ी जानकारी यही हमारी वेबसाइट पर मिलेगी। तो चलिए जानते हैं-
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि पर मनाए जाने वाले गंगा दशहरा और एकादशी तिथि पर निर्जला एकादशी का अधिक महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि यह दोनों व्रत ज्येष्ठ माह में पानी के महत्व पर बल देते हैं। चूंकि इस माह में गर्मी अपने चरम पर होती है। तो वहीं इसी महीने में नौतपा आरंभ होता है जिस दौरान नौ दिनों तक विकराल रूप से गर्मी पड़ती है। इन्हीं कारण के चलते इस माह में जल का महत्व काफी बढ़ जाता है। आईए जानते हैं इन दोनों व्रत और त्यौहार से जुड़ी खास बातें-
गंगा दशहरा
हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक गंगा दशहरा का पर्व 01 जून को मनाया जाएगा। शिव जी के सिर पर सशोभित होने के कारण धार्मिक रूप से इनकी विशेषता और बढ़ जाती है। कहा जाता है इस दिन मां गंगा का विधिवत रूप से पूजन करना चाहिए। तो वहीं इस दिन गंगा स्नान का भी खासा महत्व है। परंतु बता दें इस समय कोरोना के कारण लगभग हर जगह लॉकडाऊन है तो संभावना है इस बार ऐसा न हो पाए।
धार्मिक पुराणों की मानें तो गंगा नदी को ज्येष्ठ भी कहा जाता है। स्कन्द पुराण की बात करें तो इसमें कहा गया है कि सत्ययुग में ध्यान के द्वारा, त्रेतायुग में ध्यान और तप के माध्यम से, द्वापर में ध्यान, तप तथा यज्ञ के द्वारा मोक्ष की प्राप्ति होती थी, परंतु कलियुग में तो केवल गंगा ही मोक्ष प्रदान करने वाली हैं। बता दें गंगा दशहरा पर ही मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वीलोक में आईं थीं।
निर्जला एकादशी
निर्जला एकादशी में बिना पानी पिए पूरे दिन व्रत रखा जाता है, इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। महाभारत की मानें तो सर्वप्रथम इस व्रत को भीम ने किया था। निर्जला एकादशी जल के महत्व के बारे में बताती है। इस दिन इसमें जल पिलाने और दान करने का अधिक महत्व है।
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