...तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता

punjabkesari.in Saturday, Oct 12, 2019 - 10:43 AM (IST)

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हर्ब ब्रुक्स हाई स्कूल और कॉलेज में हॉकी के सफल खिलाड़ी थे। वर्ष 1960 में वह अमरीकी ओलिम्पिक हॉकी टीम के सदस्यों में से एक थे। दुर्भाग्यवश ओलिम्पिक प्रारंभ होने से मात्र एक सप्ताह पहले टीम से उनकी छंटनी हो गई। वह दुखी तो हुए लेकिन जब उनकी टीम ने अमरीकी इतिहास में हॉकी का पहला पुरुष स्वर्ण पदक जीता तो उन्होंने जोरदार तालियां बजाईं। वह कोच के पास जाकर बोले, ''सर, मुझे टीम से निकालने का आपका निर्णय सही था। टीम स्वर्ण पदक जीत गई।''
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टीम से निकाले जाने के बाद भी ब्रुक्स का यह जज्बा देख कर कोच हैरान रह गए। साफ था कि अपने अच्छे-बुरे की फिक्र पर भारी पड़ता था हर्ब का हॉकी प्रेम। वह लगातार अभ्यास करते रहे। वर्ष 1964 और 1968 के ओलिम्पिक खेलों में उन्हें खेलने का अवसर प्राप्त हुआ। खिलाड़ी के रूप में रिटायर होने के बाद वह हॉकी के कोच बन गए। उन दिनों अमरीका की टीम एक कमजोर टीम के रूप में जानी जाती थी। वर्ष 1980 के ओलिम्पिक में भी वह एक कमजोर टीम के रूप में दाखिल हुई थी। इससे पहले पिछले 7 में से 6 ओलिम्पिक खेलों में सोवियत संघ की टीम ने स्वर्ण पदक जीता था परंतु ब्रुक्स की मेहनत, प्रेरणा और अभ्यास के कारण अमरीका ने सोवियत संघ की टीम को 4-3 से हरा कर बड़ा उलटफेर कर दिया। फाइनल में इस टीम ने फिनलैंड को हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया।
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एक खिलाड़ी से जब इस अप्रत्याशित जीत के बारे में पूछा गया तो उसने जवाब दिया कि हमारे कोच हर्ब ब्रुक्स ने हमें सिखाया है, ''सफलता के बारे में किसी दूसरे की पुस्तक पढऩे की बजाय खुद की पुस्तक लिखो। सबके साथ मिलकर चलो और सबसे बड़ी बात सबकी उपलब्धि पर ताली बजाना सीख लो तो तुम्हें सफल होने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती।''


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Jyoti

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