वास्तु के अनुसार हों घर के दरवाजे वरना लाइफ में मच जाएगी तबाही

punjabkesari.in Saturday, May 01, 2021 - 06:16 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
वास्तु शास्त्र की मानें तो घर और दुकान वही माने जाते हैं जहां पर वास्तु शास्त्र की बातें लागू की जाती है यानी जो लोग वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखकर अपने घर का निर्माण कहते हैं या अपनी दुकान बनवाते हैं उन लोगों को बहुत लाभ प्राप्त होता है। इसीलिए आमतौर पर देखा जाता है कि महान विद्वान वास्तुशास्त्री हिदायत देते हैं कि हर किसी को अपने घर आदि का निर्माण इसके अनुसार ही करना चाहिए। कुछ लोग सोचते हैं कि घर को वास्तु के अनुसार बनाने से काम खत्म हो जाता है परंतु ऐसा नहीं है घर को केवल वास्तु शास्त्र बना देने से ही मुसीबतों से छुटकारा नहीं मिलता बल्कि अपने रहन सहन आदि को भी इसके हिसाब से ही रखना चाहिए साथ ही साथ  यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि कहीं घर के किसी उपकरण या वस्तु से वास्तु दोष पैदा न हो। आज हम बात करने वाले हैं घर में लगे दरवाजों के बारे में। वास्तु शास्त्र के अनुसार दरवाजों की सटीक फिटिंग होना अधिक आवश्यक होता है। जिस घर के दरवाजे शोर करते हैं उस घर में सुख के आगमन पर रोक लग जाती है।

दरअसल वास्तुशास्त्री बताते हैं कि दरवाजों के निर्माण में मैं पैसों का ध्यान रखना आवश्यक होता है परंतु सबसे आवश्यक होता है कि दरवाजे हमेशा अच्छी लकड़ी के बने हो ताकि जिनमें धूप, हवा तथा पानी सहकर भी पूर्ववत् कार में बने रहने की क्षमता हो। अगर घर के दरवाजा किसी भी हालत में टेढ़ा मेढ़ा हो जाए तो इससे घर में धन का शहर होता है तथा वर्किंग कैपिटल अधिक रूप से प्रभावित होती है।

वास्तु शास्त्री बताते हैं कि घर के सबसे आवश्यक यानी मुख्य द्वार पर लोहे के शोर करने वाले पल्ले नहीं होने चाहिए संभव हो तो इसे लकड़ी का बनाया जाना चाहिए। खोते और बंद करते समय दरवाजों की आवाज आना घर में रह रहे लोगों के लिए अच्छा नहीं माना जाता इसलिए ऐसी स्थिति में इन्हें जल्द से जल्द ठीक करवा लेना चाहिए। क्योंकि इससे झगड़े बढ़ते हैं परिवार के लोगों में सहनशीलता धीरे-धीरे कम होती जाती है और छोटी छोटी बातें बड़े बड़े विवाद का रूप ले लेती हैं।

दरवाजों के निर्माण में आयात का संतुलन भी आवश्यक होता है। अधिक लंबे और संस्कृत दरवाजे वास्तु के अनुसार शुभ नहीं होते। तो थी इसी प्रकार घर घरों में वर्ग कार दरवाजों से भी परहेज करना चाहिए। अत्यंत कम ऊंचाई के दरवाजे घरों में संकीर्ण मानसिकता को बढ़ावा देते हैं इसलिए दरवाजा औसत ऊंचाई वाला हो ये सुनिश्चित करें।

इसके अलावा कहा जाता है कि एक पलड़े के दरवाजे की तुलना में दो पलड़े वाला दरवाजा अधिक सकारात्मक ऊर्जा का संचरण करता है।  इस बात का भी ध्यान रखें कि समय-समय पर दरवाजों में आए नहीं करवाते रहें तो वही घुन एवं कीट प्रकोप से भी बचाव रखना चाहिए।


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Content Writer

Jyoti

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