Holi 2020: ब्रज में ये स्थान होली के दौरान होता है खास

punjabkesari.in Wednesday, Mar 04, 2020 - 01:28 PM (IST)

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ब्रज की होली पूरे देशभर से लोग देखने के लिए आते हैं। यहां होली से जुड़ी कई परंपराएं आज भी जीवंत होती है। इन्हीं में से एक दिन लाठियों से होली खेलने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। बता दें कि वृंदावन व बरसाना में होली के दौरान पुरुषों को हुरियारे और महिलाओं को हुरियारन कहा जाता है। वृंदावन की होली देखने के लिए लोग दूर-दूर से वहां आते हैं। आज हम आपको वहां स्थित एक ऐसे स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे और साथ ही उससे जुड़ी प्राचीन परंपरा के बारे में भी जानते हैं। 
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बरसाना के कटारा हवेली स्थित ब्रज दूलह मंदिर को रूपराम कटारा ने बनवाया था। कटारा हवेली स्थित ब्रज दूलह मंदिर में ब्रज की राधा स्वरूप हुरियारी कृष्ण को लाठियां मारती हैं। तभी से उनके परिवार की महिलाएं ब्रज दूलह के रूप में विराजमान भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करती हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ब्रज में केवल यही ऐसा मंदिर है, जहां होली पर विग्रह श्रीकृष्ण पर लाठियां पड़ती हैं। इसके साथ ही यहां केवल महिलाएं ही पूजा करती हैं। लठामार होली वाले दिन नंदगांव के हुरियारे कटारा हवेली पहुंच कर श्रीकृष्ण से होली खेलने को कहते हैं। कटारा परिवार द्वारा हुरियारों का स्वागत किया जाता है। उनको भाग और ठंडाई पिलाई जाती है। 
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ब्रज दूलह मंदिर की सेवायत की राधा कटारा ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण कटारा हवेली में ब्रज दूलह के रूप में विराजमान हैं। यहां सभी व्यवस्थाएं महिलाएं करती हैं। होली के दिन लट्ठमार होली की शुरुआत ब्रज दूलह के साथ होली खेलते हुए होती है।
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पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण गोपियों को कई तरह से परेशान किया करते थे। कभी उनकी मटकी फोड़ देते तो कभी चीरहरण कर लेते। एक बार बरसाना की गोपियों ने कृष्ण को सबक सिखाने की योजना बनाई। उन्होंने कृष्ण को उनके सखाओं के साथ बरसाना होली खेलने का न्यौता दिया। श्रीकृष्ण और ग्वाल जब होली खेलने बरसाना पहुंचे तो उन्होंने देखा कि बरसाना की गोपियां हाथ में लाठियां लेकर खड़ी हैं। लाठियां देख ग्वाल-बाल भाग गए। 
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जब श्रीकृष्ण अकेले पड़ गए तो गायों के खिरक में जा छिपे। जब गोपियों ने कान्हा को ढूंढा और यह कह कर बाहर निकाला कि ‘यहां दूल्हा बन कर बैठा है, चल निकल बाहर होली खेलते हैं’। इसके बाद गोपियों ने श्रीकृष्ण के साथ जमकर होली खेली। तभी से भगवान का एक नाम ब्रज दूलह भी पड़ गया। 


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