Holashtak 2021: होलाष्टक के आठ दिन शुभ कार्यों के लिए है अशुभ

punjabkesari.in Friday, Mar 26, 2021 - 12:27 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन तक के दिनों को होलाष्टक कहा जाता है। 21 मार्च रविवार से इस बार का होलाष्टक आरंभ हो चुका है। शास्त्रों में किए वर्णन के मुताबिक होली से ठीक 8 दिन पहले होलिका दहन की पूजा वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध करके उसमें सूखी लकड़ी, उपले व होली का डंडा स्थापित कर दिया जाता है। जिसका अर्थ होता है कि होलाष्टक प्रारंभ हो गया है। ज्योतिषी बताते हैं होलाष्टक के दिनों में विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन, नामकरण एवं विद्यारंभ आदि जैसे तमाम मांगलिक कार्य व समस्त शुभ कार्य करने वर्जित माने जाते हैं। मगर इसके अलावा एक ऐसा भी काम होता है, जो इन आठ दिनों में किया जा सकता है। इतना ही बल्कि यह कार्य करने से जातक को कई तरह के लाभ भी प्राप्त होते हैं। क्या है वो काम आइए जानते हैं- 

दान करना है उत्तम 
ज्योतिषीय विशेषज्ञ बताते हैं कि अष्टमी से पूर्णिमा तक नवग्रह भी उग्र रूप लिए रहते हैं, यही वजह है कि इस अवधि में किए जाने वाले शुभ कार्यों में अमंगल होने की आशंका अधिक होती है। कहा ये भी जाता है कि इन दिनों में व्यक्ति निर्णंय लेने में कमज़ोर हो जाता है। होलाष्टक के 8 दिन व्रत, पूजन और हवन की दृष्टि से अच्छा समय माना जाता है। इन दिनों में किए गए दान से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

यहां जानें इससे जुड़ी किंवदंतियां- 
शिव पुराण के अनुसार देवताओं के अनुरोध करने पर कामदेव ने अपना प्रेम वाण चलाकर शिवजी की तपस्या को भंग किया था। जिस कारण महादेव उन पर अत्यंत क्रोधित हो गए थे और उन्होंने अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से कामदेव को भस्म कर दिया। जैसे ही प्रेम के देवता कामदेव भस्म हुए सारी सृष्टि में शोक व्याप्त हो गया। 

इस पर अपने पति को पुनः जीवित करने के लिए रति ने अन्य देवी-देवताओं सहित महादेव से प्रार्थना की। प्रसन्न होकर भोले शंकर ने कामदेव को पुर्नजीवन का आशीर्वाद दिया। कहा जाता है कि फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को कामदेव भस्म हुए और ठीक इसके आठ दिन बाद महादेव से रति को उनके पुर्नजीवन का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। 

इसके अलावा दूसरी मान्यता के अनुसार भक्त प्रह्लाद की अनन्य नारायण भक्ति से क्रुद्ध होकर उसके पिता हिरण्यकश्यप ने होली से पहले के 8 दिनों में प्रह्लाद को अनेकों प्रकार के जघन्य कष्ट दिए थे। कहा जाता है तभी से भक्ति पर प्रहार के इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है


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Content Writer

Jyoti

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