हनुमान चालीसा की ये चौपाई में है पवनपुत्र की सिद्धियों व नव विधियों का रहस्य

punjabkesari.in Tuesday, May 31, 2022 - 01:52 PM (IST)

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धार्मिक व ज्योतिष मंगलवार के दिन पवनपुत्र हनुमान जी की पूजा अर्चना का अधिक महत्व है। कहा जाता है इस दिन हनुमान जी की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को हर तरह की बुरी व नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिलता है साथ ही साथ जीवन हर अन्य समस्याओं का भी निपटारा होता है। कहा जाता है जो व्यक्ति मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का जप करता है उसे कोई भी समस्या परेशान नहीं कर पाती। धार्मिक किंवदंतियों के अनुसार हनुमान चालीसा की रचन गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा की गई है। उनके द्वारा रचित ये सरल स्तुति बेहद शक्तिशाली मानी जाती है। जिसके जप मात्र से भक्तों के सभी कष्ट व पाप दूर हो जाते हैं। 
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बताया जाता है कि हनुमान चालीसा की चौपाइयों में हमारी समस्याओं का समाधान छिपा हुआ है। तो वहीं ये भी माना जाता है चौपाइयों का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण योगदान है। प्रचलित धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्री राम के परण व प्रिय भक्त हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नौ निधि के दाता के रूप में जाना जाता है। इससे जुड़ी एक चौपाई भी हनुमान चालीसा में वर्णित है जो इस प्रकार है "अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस वर दीन जानकी माता"। 

बता दें इस चौपाई का अर्थ है कि हनुमान जी की भक्ति से व्यक्ति के जीवन में आठ प्रकार की सिद्धियां और नौ प्रकार की निधियां साकार हो जाती है। मगर ये अष्ट सिद्धि और नव निधियां हैं क्या, इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं तो आइए जानते हैं इसका रहस्य-

अष्ट सिद्धियां और नव निधियां 
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार श्रीराम भक्त हनुमान को आठ सिद्धियों और नौ निधियों का वरदान मां जानकी ने दिया था। कहा जाता है कि इन्हें संभालने की शक्ति भी केवल महाबली हनुमान में ही थी। ऐसा माना जाता है कि दुनिया में सबसे कीमती वस्तुएं हैं, नौ निधियां जिन्हें पा लेने के बाद किसी भी प्रकार के धन और संपत्ति की आवश्यकता नहीं रहती हैं। हनुमान जी के पास आठ प्रकार की सिद्धियां थीं। जिसके प्रभाव से वे किसी भी व्यक्ति का रूप धारण कर सकते थे, अत्यंत सूक्ष्म से लेकर अति विशालकाय देह धारण कर सकते थे। तथा जहां चाहे वहां मन की शक्ति से पल भर में पहुंच सकते थे। को आइए जानें कौन से हैं अष्ठ सिद्धियां व नव निधियां- 
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बता दें हनुमान चालीसा के अतिरिक्त मार्कंडेय पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी अष्ट सिद्धियों का उल्लेख किया गया है। 
अणिमा: इस सिद्धि के बल पर हनुमानजी कभी भी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं।
महिमा: इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमान जी ने न केवल त्रेता युग में बल्कि द्वापर युग में कई बार विशाल रूप धारण किया है।
गरिमा: इस सिद्धि के चलते से हनुमानजी स्वयं का भार किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं।
लघिमा: इस सिद्धि के शुभ प्रभाव से हनुमान जी स्वयं का भार बिल्कुल हल्का कर सकते हैं और पलभर में वे कहीं भी आ-जा सकते हैं।
प्राप्ति: इसकी मदद से हनुमान जी किसी भी वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर लेते हैं। पशु-पक्षियों की भाषा को समझ लेते हैं तथा आने वाले समय को भी देख सकते हैं।
प्राकाम्य: प्राकाम्य सिद्धि से हनुमान जी पृथ्वी गहराइयों में पाताल तक जा सकते हैं, आकाश में उड़ सकते हैं तथा मनचाहे समय तक पानी में भी जीवित रह सकते हैं।
ईशित्व: इस सिद्धि की बल पर हनुमान जी को दैवीय शक्तियां प्राप्त हुई हैं।
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वशित्व: वशित्व आखिरि सिद्धि के चलते  इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमान जी जितेंद्रिय हैं और मन पर नियंत्रण रखते हैं।
पद्म निधि: पद्मनिधि के लक्षणों से संपन्न मनुष्य सात्विक होता है तथा स्वर्ण चांदी आदि का संग्रह करके दान करता है।
महापद्म निधि: महाप निधि से लक्षित व्यक्ति अपने संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक जनों में करता है।
नील निधि: निल निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेज से संयुक्त होता है। कहा जाता है उसकी संपति तीन पीढ़ी तक रहती है।
मुकुंद निधि: मुकुन्द निधि से लक्षित मनुष्य रजोगुण से संपन्न होता है तथा वह राज्य संग्रह में लगा रहता है।
नन्द निधि: नन्दनिधि युक्त व्यक्ति राजस और तामस गुणों वाला होता है, जो कुल का आधार होता है।
मकर निधि : मकर निधि संपन्न पुरुष अस्त्रों का संग्रह करने वाला होता है।
कच्छप निधि : कच्छप निधि लक्षित व्यक्ति तामस गुण वाला होता है वह अपनी संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है।
शंख निधि : शंख निधि एक पीढ़ी के लिए होती है।
खर्व निधि : खर्व निधि वाले व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रित फल दिखाई देने को मिलते हैं। 


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Content Writer

Jyoti

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