Ashadha Gupt Navratri: पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा, पूर्ण होगी हर मनोकामना

punjabkesari.in Monday, Jun 22, 2020 - 06:52 AM (IST)

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Maa shailputri puja vidhi: नवदुर्गा में प्रथम दुर्गा 'शैलपुत्री' की आराधना से ही नवरात्रि पूजा का शुभारंभ होता है। इन्हें मां सती का अवतार माना जाता है। मां सती द्वारा प्रजापति दक्ष के यज्ञ में अपने शरीर को भस्म करने के बाद उन्होंने पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था। इसी से इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। नवरात्रि के प्रथम दिन योगीजन अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित कर मां भगवती की आराधना करते हैं।

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पूर्वजन्म की ही भांति इस जन्म में भी वे भगवान शिव की अर्द्धांगिनी बनी। वृषारूढ़ मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। इनकी पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होकर स्वर्ग तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। इनका ध्यान मंत्र तथा आव्हान मंत्र निम्न प्रकार है-

वन्दे वञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढाम् शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।

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ऐसे करें पूजा
सर्वप्रथम पूजा-स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ धुले हुए वस्त्र पहन कर भगवान गणेश, अपने ईष्टदेव, भगवान शिव तथा पितृदेव की पूजा करें तत्पश्चात कलश में सप्तमृतिका यानी सात प्रकार की मिट्टी, सुपारी, मुद्रा सादर भेंट करें और पांच प्रकार के पल्लव से कलश को सुशोभित करें। अब मां भगवती के महामंत्र-

“जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा, स्वधा नामोस्तुते”

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का जप करते हुए उनका आव्हान करें। फिर मां की पूजा-अर्चना कर उनके उपरोक्त "वन्दे वञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् वृषारूढाम् शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्" का 108 बार जप करें।

मां को प्रसाद आदि अर्पण कर उनसे अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करें। शैलपुत्री की पूजा से भक्त समस्त कष्टों से मुक्त होकर स्वर्गलोक को प्राप्त करता है।

आचार्य अनुपम जौली
anupamjolly@gmail.com

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Niyati Bhandari

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