कभी नहीं होगी पैसों की कमी, अगर मान लेंगे गरुड़ पुराण की ये बातें
punjabkesari.in Saturday, Jul 04, 2020 - 11:14 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म में बहुत से ग्रंथ हैं, जिनमें मानव जीवन से जुड़ी बहुत सी बातों उल्लेखित है। परंतु अगर आज के समय की बात केरं तो किसी के पास इतना समय नही हैं कि वो इन ग्रंथ या शास्त्रोंं को पढ़कर इन बातों का जान पाए। तो बता दें ऐसे में हमारी वेबसाईट आपके बहुत काम आ सकती है। अब आप सोचेंगे भला वो कैसे तो बता दें आए दिन हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से ऐसी कई चीज़ें बताते रहते हैं, जो आपके लिए कहीं न कहीं बहुत लाभदायक मानी जाती है। जी हां, आप सही सोच रहे हैं अपनी इसी कड़ी को बरकरार रखते हुए आज भी हम आपको हिंदू धर्म के मुख्य ग्रंथ मे से गरुड़ पुराण में वर्णित बातों से अवगत करवाने जा रहे हैं जिनसे आपको बहुत कुछ नया तो जानने को मिलेगा, बल्कि अगर आप इसे अपने जीवन में अपनाएंगे तो बहुत लाभ पाएंगे।
सबसे पहले जानिए गरुड़ पुराण में वर्णित ये श्लोक-
दाता दरिद्रः कृपणोर्थयुक्तः पुत्रोविधेयः कुजनस्य सेवा।
परापकारेषु नरस्य मृत्युः प्रजायते दिश्चरितानि पञ्च।।
अर्थात-
गरुड़ पुराण में वर्णित इस श्लोक का अर्थ ये है कि किसी भी व्यक्ति को कभी दरिद्र होकर दाता नहीं बनना चाहिए। इसका मतलब ये है कि कभी किसी को अपने सामर्थ्य से बढ़कर दान-दक्षिणा नहीं देना चाहिए। अक्सर कुछ लोग दिखाने के चक्कर में अधिक दान कर देते हैं, फिर चाहे बाद में उन्हें परेशानी क्यों न हो। तो तकिसी भी व्यक्ति को ज़रूरत से ज्यादा दान नहीं करना चाहिए।
इसके बाद श्लोक में कहा गया है प्रत्येक व्यक्ति को साफ़ सुथरे वस्त्र धारण करने चाहिए। जिन लोगों को स्वच्छ वस्त्र होने के बावजूज गंदे कपड़े पहनने की आदत होती है। उनके जीवन में कभी सुख-समृद्धि नहीं आती। इतना ही नहीं घर में आने वाला धन उल्टे पैर लौट जाता है तथा सौभाग्य दुर्भाग्य में बदल जाता है।