Ganga Saptami 2020: कम ही लोग जानते हैं भगवान शिव और गंगा से जुड़ी ये बातें

punjabkesari.in Thursday, Apr 30, 2020 - 05:50 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ganga Saptami 2020: आज 30 अप्रैल, वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाएगा। शास्त्रों की मान्यता के अनुसार इस रोज़ गंगा मईया स्वर्ग लोक से भगवान शिव की जटाओं में विराजित होकर धरती पर आई थी। ये दिन गंगा सप्तमी के रुप में मनाया जाता है, इसे गंगा जन्मोत्सव भी कहते हैं।

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प्राचीन कथा के अनुसार जब कपिल मुनि के श्राप से सूर्यवंशी राजा सगर के 60 हज़ार पुत्र जल कर भस्म हो गए, तब उनके उद्धार के लिए सगर के वंशज भागीरथ ने घोर तपस्या की। अपनी कठिन तपस्त्या के बल पर उन्होंने गंगा को प्रसन्न किया और धरती पर लाने में कामयाब हुए। गंगा जल का स्पर्श करते ही सगर के 60 हज़ार पुत्रों का उद्धार हुआ।

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शास्त्रों ने गंगा को मोक्षदायिनी कहा है। हिंदू धर्म में ऐसा भी माना जाता है की जब तक मृत व्यक्ति की अस्थियां गंगा में प्रवाहित न की जाएं, उसे मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती। पुराणों ने गंगा को मन्दाकिनी रूप में स्वर्ग, गंगा के रूप में पृथ्वी व भोगवती रूप में पाताल में प्रवाहित होते हुए वर्णित किया गया है।

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विष्णु पुराण में कहा गया है गंगा भगवान श्री हरि विष्णु के बायें पैर के अंगूठे के नख से प्रवाहित होती हैं। कुछ विद्वानों का मत है की भगवान शिव ने ब्रह्मस्वरूपिणी गंगा को इसलिए अपने शीश पर धारण किया क्योंकि वो श्री हरि विष्णु का चरणामृत हैं।

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महादेव ने अपनी जटा से गंगा को सात धाराओं में अलग-अलग किया। जिनमें नलिनी, ह्लदिनी व पावनी पूर्व में, सीता, चक्षुस व सिन्धु पश्चिम में व सातवीं धारा भागीरथी प्रवाहित हुई। पौराणिक आख्यान के अनुसार ये भी कहा जाता है की गंगा हिमालय व मैना की बेटी और भगवान शिव की अद्धागिनि उमा की बहन हैं। गंगा का सम्बन्ध कार्तिकेय के मातृत्व से भी माना जाता है।

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श्रीकृष्ण भक्ति शाखा के प्रसिद्ध कवि रसखान कहते हैं- आक धतूरो चबात फिरैं, विष खात फिरैं सिव तोरे भरोसे ।।

अर्थात- भगवान शिव के सिर पर जो शीतलता प्रदान करने वाली गंगा हैं। उन्हीं के भरोसे वे आक-धतूरे चबाते रहते हैं और हलाहल विष का पान भी कर गए।

रसखान ने गंगा को किसी भी समस्या की सबसे उत्तम औषधि बताया है।   


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Niyati Bhandari

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